इस गांव में लगे हैं बोर्ड… भाजपा नेताओं का आना मना हैं वरना…

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उत्तर प्रदेश के अमरोहा में किसानों ने बीजेपी नेताओं को गांव में घुसने से मना(refused) किया है। दिल्‍ली में किसानों पर लाठीचार्ज से नाराज रसूलपुर माफी के लोगों ने बीजेपी नेताओं को अपने जोखिम पर गांव में घुसने की चेतावनी दी है। इस संबंध में गांव में एक बोर्ड भी लगा दिया गया है।

इससे बीजेपी में बैचेनी है। बता दें कि हरिद्वार से दिल्‍ली तक निकाली गई किसान क्रांति यात्रा में शामिल किसानों को गाजियाबाद में रोक दिया गया था। यहां पर किसानों पर लाठीचार्ज हुआ था और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए थे।

बीजेपी वालों का गांव में आना सख्त मना है

अमरोहा जिले के धनौरा तहसील में आने वाले रसूलपुर माफी गांव के बाहर एक बोर्ड लगाया गया है। इस पर लिखा है, ‘किसान एकता जिंदाबाद। बीजेपी वालों का गांव में आना सख्त मना है। जान माल की स्वयं रक्षा करें। सौजन्य से किसान एकता, रसूलपुर माफ़ी, अमरोहा।’ आसपास के अन्‍य गांव भी एकजुटता दर्शाने के लिए इस तरह के बोर्ड लगाने की योजना बना रहे हैं।

भाजपा सरकार अब उन्हें बिलकुल बर्दाश्त नहीं है

किसानों पर हमले से नाराज स्थानीय किसान धर्मपाल ने बताया कि वे किसान क्रांति यात्रा में गए थे। उन्हें और हजारों किसानों को दिल्ली में नहीं जाने दिया गया। बेगुनाह और निहत्थे किसानों पर लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इसमें कई लोग घायल हुए। वह भी घायल हो गए थे। उन्होंने कहा कि किसानों की बात का दिखावा करने वाली भाजपा सरकार अब उन्हें बिलकुल बर्दाश्त नहीं है।

स्थानीय भाजपा नेताओं की भी बेचैनी बढ़ा दी है

एक अन्‍य ग्रामीण उम्‍मेद सिंह ने बताया कि बोर्ड का एक ही मकसद है विरोध जताना। हम बीजेपी के खिलाफ हैं। पूरा गांव इनके खिलाफ है। अगर बीजेपी वाले यहां आते हैं तो उनके साथ वैसा होता है जो इन्‍होंने हमारे साथ किया था तो हमें दोष न दें। हमने बोर्ड लगाकर संदेश दे दिया है। ग्रामीण किसानों की इस तरह सार्वजनिक नाराजगी ने स्थानीय भाजपा नेताओं की भी बेचैनी बढ़ा दी है। फ़िलहाल इस मामले पर स्थानीय भाजपा नेताओं ने अभी कुछ भी कहने से इनकार किया है।

बता दें कि एससी-एसटी एक्‍ट में संशोधन के बाद भी कई गांवों में इस तरह के बोर्ड लगे थे। इनमें नेताओं से वोट मांगने न आने को कहा था। साथ ही चेताया था कि अगर नेता आते हैं तो वे अपने जोखिम पर आएंगे। इस तरह के पोस्‍टर और बैनर सवर्ण लोगों ने लगाए थे। साभार

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