पाकिस्तान का ‘चांद तारे वाला झंडा’ वेश्याओं का : वसीम रिजवी

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हमेशा से अपने बयानों से सुर्खियां बटोरने वाले शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी एक बार फिर चर्चा का विषय बन गए हैं। उनका कहना है कि ‘मैंने चांद तारे वाले झंडे को वेश्याओं का झंडा बताया था। इस बयान पर कुछ मुसलमानों को एतराज है पर, मैं इसे साबित कर सकता हूं।’

दरअसल, वसीम रिजवी ने कुछ दिन पहले हरे रंग के चांद तारे वाले झंडे पर एतराज जताया था। उन्होंने कहा ‘पाकिस्तान के चांद तारे वाला झंडा वेश्याओं का झंडा है। मैं इसे साबित कर सकता हूं। इस्लाम आने से पहले अरब में वेश्याएं इस तरह के झंडों का इस्तेमाल करती थीं।

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अरब में वेश्याएं इस झंडे का इस्तेमाल इस लिए करती थीं ताकि वे अपने ग्रहकों को रिझा सकें। ये झंडा इस बात का इशारा हुआ करता था कि चांदनी रात है तारों की छांव तले महफिलें सज चुकीं हैं।’ आपको बता दें कि कुछ दिन पहले भी वसीम रिजवी ने प्रेस कांफ्रेस करके पाकिस्तान के चांद तारे वाले झंडे पर आपत्ति जताई थी।

मुस्लिम लीग ने बनाया था ये झंडा

हरे रंग पर बना सफेद चांद तारे वाला इस्लामिक झंडा नहीं है, बल्कि 1906 में मुस्लिम लीग ने इस झंडे को बनाया था।

वसीम रिजवी की बाइट…

भारत और पाकिस्तान के अलग हो जाने के बाद ये झंडा मुस्लिम लीग के साथ पाकिस्तान चला गया। इस झंडे को पाकिस्तान का झंडा कहकर भारत में फहराया जा रहा है। यह झंडा पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टी मुस्लिम लीग कायदे आजम का झंडा बनने के बाद से आज तक है।

इससे पहले भी दे चुके हैं ये बयान

मोदी और योगी सरकार में ही बन सकता है राम मंदिर

वसीम रिजवी ने कहा था कि योगी और मोदी के शासनकाल में ही राम मंदिर बन सकता है, किसी और सरकार में नहीं। इतना ही नहीं भगवान श्री राम चंद्र की जन्मभूमि अयोध्या को लेकर रिजवी ने कहा कि ‘मुझे ये पूरा भरोसा है कि बाबर के जमाने में जिस राम मंदिर को तोड़ा गया था, वो दोबारा बन जायेगा।

उन्होंने कहा ‘न कभी वहां मस्जिद थी, न है और न कभी बन पाएगी, क्योंकि वहां राम जन्मभूमि है…वहां मंदिर ही बनना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘बाबर और बाबरी के पैरोकार…इनकी हार पूरी तरह से तय है।’

काजियों की नियुक्तियों पर भी दिया था बयान

वसीम रिजवी ने कहा था कि देश में करीब 80 से अधिक शरई अदालतें चलने की बात खुद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी मानी है। जबकि इसकी इजाजत हमारे देश के संविधान में नहीं हैं। भारतीय संविधान किसी भी समाज या संगठन को किसी भी तरह की अदालत का गठन करने और जज नियुक्त करने की इजाजत नहीं देता।

रिजवी ने कहा कि शरिया कानून के अनुसार काजी (जज) नियुक्त करने का अधिकार सिर्फ हुकूमत को है। जिस मुल्क में शरीयत के अनुसार इस्लामिक हुकूमत होती है वहां हुकूमत काजी (जज ) नियुक्त करते हैं। भारत में काजी नियुक्त किया जाना असंवैधानिक है।

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