CM योगी के एजेंडे में राममंदिर के बजाय रामनगरी
अयोध्या अदालती मर्यादा के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिबद्धताओं से राममंदिर भले ही हाशिए पर सरक गया हो पर इसकी भरपाई वे संपूर्ण रामनगरी के माध्यम से कर रहे हैं। गत वर्ष मार्च में मुख्यमंत्री बनने के ढाई महीने के भीतर ही वे रामनगरी पहुंचे और अपने इस रुख का पूरे वैभव से इजहार किया।
कई योजनाएं केंद्र की थी तो कुछ प्रदेश सरकार की थीं
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं शीर्ष पीठ मणिरामदासजी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास के जन्मोत्सव के मंच से उन्होंने नगरी के विकास के लिए साढ़े तीन सौ करोड़ से अधिक की योजनाओं का एलान किया। इनमें से कई योजनाएं केंद्र की थी तो कुछ प्रदेश सरकार की थीं। वे घोषणाओं तक ही नहीं ठिठके।
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गत वर्ष 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री जब रामनगरी में दीपोत्सव मनाने पहुंचे तो उन्होंने करोड़ से अधिक की विकास योजनाओं का शिलान्यास भी किया। इन योजनाओं पर अमल हो रहा है और रामनगरी पर्यटन के क्षितिज पर चमकने के लिए अंगड़ाई ले रही है। इससे पूर्व उनकी सरकार ने अयोध्या और फैजाबाद नगरपालिकाओंको एककर नगरनिगम का दर्जा देकर जुड़वा शहरों का कद काफी बढ़ा दिया। गत वर्ष दिसंबर में ही नवगठित अयोध्या नगरनिगम के प्रथम महापौर ऋषिकेश उपाध्याय के नेतृत्व में अयोध्या विकास के नित्य नए स्वप्न की वाहक बन बैठी है।
10 करोड़ की राशि अवमुक्त करने की जानकारी दी
पौराणिक महत्व की पीठ नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास राजकुमारदास डेढ़ दर्जन से अधिक संतों के साथ गुरुवार को ही मुख्यमंत्री से मुलाकात का जिक्र करते हैं। इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने रामनगरी के प्राचीन सरोवरों के सुंदरीकरण के लिए पौने तीन करोड़ की राशि के साथ सरयू महोत्सव के लिए 10 करोड़ की राशि अवमुक्त करने की जानकारी दी।
ब्रह्मकुंड के विकास एवं सुंदरीकरण के लिए 30 लाख की राशि अवमुक्त होने से संतों ने कहा कि बनारस जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी के अपनत्व से गौरवांवित है। उसी तरह अयोध्या मुख्यमंत्री का अपनापन पाकर गौरवांवित हो रही है। इसी महीने की 25 तारीख को मुख्यमंत्री के दौरे से यह समीकरण और प्रगाढ़ होने की उम्मीद है।
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