नोएडा पुलिस की करतूतों का हिसाब देंगे डीजीपी !

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उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (एनएचआरसी) ने एक नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर नोएडा पुलिस की लापरवाही का पूरा ब्यौरा मांगा है। जानकारी के मुताबिक, नोएडा पुलिस ने 14 साल की एक नाबालिग लड़की को पुलिस चौकी में आठ दिनों तक हिरासत में रखा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नाबालिग लड़की पर नोएडा पुलिस ने थर्ड डिग्री का इस्तेमाल भी किया।

नोएडा पुलिस ने नाबालिग को सिगरेट से जलाया

यह मामला सलारपुर पुलिस चौकी का है। सूत्रों का कहना है कि नाबालिग लड़की एक घर में डोमेस्टिक हेल्पर का काम करती थी। मालिक ने उसपर चोरी का इल्जाम लगाया, जिसके बाद पुलिस उसे अपने साथ ले गई और थाने में उसपर अत्याचार किए गए।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता के घरवालों ने कहा कि नोएडा पुलिस ने 14 मई को उनकी बेटी को हिरासत में लिया था। पुलिस ने उसे 16 मई तक पुलिस चौकी में ही रखा। इस दौरान उन्हें अपनी बेटी से नहीं मिलने दिया गया। घरवालों के मुताबिक, 16 मई को उसे अचानक छोड़ दिया गया। अगले ही दिन फिर 17 मई को पुलिस ने बेटी को दोबारा हिरासत में ले लिया।

नाबालिग भाई को हिरासत में लिया

रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार पुलिस ने नाबालिग लड़की के 17 साल के भाई को भी हिरासत में लिया और 17 से 22 मई तक दोनों भाई-बहन पुलिस की हिरासत में रहे। इस मामले में एक चाइल्ड वेलफेयर कमिटी की दखल के बाद 22 मई की रात को पुलिस ने दोनों को छोड़ा। अगले दिन 23 मई को सीडब्ल्यूसी ने नाबालिग लड़की का मेडिकल टेस्ट करवाया।

मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, नाबालिग लड़की के शरीर पर सिगरेट से जले होने के निशान पाए गए हैं। मेडिकल रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर निशान 10 दिन पुराने हैं। रिपोर्ट ये भी कहती है कि नाबालिग लड़की को बुरी तरह पीटा गया था, जिसकी वजह से उसके शरीर पर निशान पड़ गए हैं।

आरोप यह भी है कि पीड़िता को थाने में इलेक्ट्रिक शॉक भी दिए गए। वहीं, मीडिया में खबर आने के बाद नोएडा सेक्टर-39 पुलिस स्टेशन के एसएचओ ने कहा कि ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा है कि लड़की नाबालिग नहीं है।

आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

एनएचआरसी के मुताबिक, अगर मीडिया रिपोर्ट सच साबित होता है तो यह दिल दहलाने वाली घटना है। यह घटना पुलिस की क्रूरता की कहानी बयां करती है। जांच में अगर इस घटना की पुष्टि होती है तो आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। एनएचआरसी ने कहा कि कानून इस तरह की अमानवीय क्रूरता की इजाजत नहीं देता है। पुलिस को कोई हक नहीं है कि वह निर्दोष लोगों पर इस तरह जुल्म करे।

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