घर नहीं राजमहल में रहती हैं बसपा सुप्रीमो

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उत्तर प्रदेश के लगभग सभी पूर्व मुख्यमंत्री कहने को तो सरकारी बंगले में रहते हैं लेकिन इन घरों की भव्यता किसी राजमहल सरीखी ही है। विशेष तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव के लिए खुद उनकी ही सरकारों ने खजाने का मुंह खोल रखा था। यही वजह है कि इन बंगलों में घुसते ही आंखें चौंधिया जाती हैं। कहीं इटैलियन मार्बल लगे हैं तो कहीं पत्थरों की तराश चमत्कृत कर देती है। अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले इतने आधुनिक भले ही न हों लेकिन इतने विशाल हैं कि किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम हैं।

एनडी तिवारी कांग्रेस शासनकाल में मुख्यमंत्री रह चुके हैं

पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले खाली कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर प्रदेश में छह राजनेताओं पर पड़ेगा। राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह को भाजपा सरकारों में मुख्यमंत्री रहने की वजह से बंगला मिला हुआ है तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव को भी आवास आवंटित है। एनडी तिवारी कांग्रेस शासनकाल में मुख्यमंत्री रह चुके हैं तो बसपा सरकार में मायावती रही थीं। पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव के पास भी सरकारी बंगला था लेकिन उन्होंने उसे खाली कर दिया था।

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पूर्व मुख्यमंत्रियों को इन बंगलों में जीवन भर रहने का अधिकार मिला हुआ था। इसके बाद मायावती ने बनाया था ‘एक्स चीफ मिनिस्टर्स रेजिडेंस अलाटमेंट रूल्स।पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, वीर बहादुर सिंह और हेमवतीनंदन बहुगुणा, श्रीपति मिश्र को भी बंगले मिले थे। 1997 में हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद वीपी सिंह, कमलापति त्रिपाठी, हेमवतीनंदन बहुगुणा और श्रीपति मिश्रा के आवास खाली हो गए थे मगर मायावती की गठबंधन सरकार ने ‘एक्स चीफ मिनिस्टर्स रेजिडेंस अलाटमेंट रूल्स 197Ó बना कर एक बार फिर बंगलों पर कब्जा जमाये रखने का इंतजाम कर दिया।

नियम के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले में जमे रहने का मार्ग निकल आया और पुराने नामों में मुलायम, मायावती, राजनाथ, कल्याण, अखिलेश आदि की शृंखला जुड़ती गई। आवास को भव्यता देने की शुरुआत हालांकि वीर बहादुर सिंह के ही कार्यकाल में हो गई थी जिसे मुलायम ने भी अपनाया। राजमहल जैसी भव्यता देने की शुरुआत मायावती ने की, जिसे अखिलेश ने आगे बढ़ाया।

ताउम्र सरकारी बंगले देने का प्रावधान रद कर दिया था

पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास आवंटित किए जाने के खिलाफ एक सामाजिक संगठन लोक प्रहरी ने कोर्ट में चुनौती दी थी। एक अगस्त 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियमों को गलत बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र सरकारी बंगले देने का प्रावधान रद कर दिया था। अदालत ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को दो महीने में बंगले खाली करने और उनसे किराया वसूली का भी आदेश दिये थे। इसके बाद अखिलेश सरकार ने 30 अगस्त, 2016 को उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबंध) (संशोधन) विधेयक पारित कराया था। इस विधेयक से पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले बच गए थे। इस कानून को लोक प्रहरी ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में अगस्त 2017 में चुनौती दी जिस पर रविवार को फैसला आया।

सबके पास अपने घर भी

सुप्रीम कोर्ट ने जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगले खाली करने को कहा है, उनके पास अपने घर भी हैैं। चुनावी हलफनामों के अनुसार मायावती के पास करोड़ों की संपत्ति के साथ दिल्ली व लखनऊ में अपने घर हैं। मुलायम सिंह यादव के पास भी करोड़ों की सम्पत्ति के साथ इटावा, सैफई और लखनऊ में एक-एक घर है। राजनाथ सिंह के पास भी लखनऊ में अपना घर है। एक तथ्य यह भी है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को जब सरकारी आवास आवंटित हुए तो उनके परिसर का दायरा सीमित था लेकिन बाद में वह बढ़ता गया।

कुछ बंगले ट्रस्ट के नाम

पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह का बंगला अब उनके ही नाम से बने एक ट्रस्ट के नाम है। इसी तरह हेमवती नंदन बहुगुणा के नाम पर भी ट्रस्ट बनाया गया था। मायावती ने अपने बंगले को बाद में जो विस्तार दिया, उसे ट्रस्ट के नाम से आवंटित किया गया है।

क्या कहना है सरकार का

राज्य संपत्ति अधिकारी, योगेश कुमार शुक्ल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रति अभी राज्य सरकार को प्राप्त नहीं हुई है। आदेश मिलने के बाद उसका अध्ययन कर इस मामले में कदम आगे बढ़ाए जाएंगे।

दैनिक जागरण

 

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