सिविल सर्विस परीक्षा में UP के बेटे और बेटियों ने लहराया परचम
संघ लोकसेवा आयोग द्वारा शुक्रवार को घोषित सिविल सर्विसेज के नतीजे ने यूपी के होनहारों में खुशी की लहर बिखेर दी। इस गौरवशाली परीक्षा में यूपी के 200 से अधिक बच्चों ने सफलता हासिल की है। जिसमें इलाहाबाद की हंडिया तहसील के दसेर गांव निवासी अनुभव सिंह को यूपी से पहली और ओवर आल आठवीं रैंक मिली है। संगम नगरी की ही शिवानी गोयल को 15 वीं रैंक हासिल की है।
विशाल कुछ देर हक्का-बक्का रह गए
‘बधाई हो, दोनों भाई कलेक्टर बन गए, मूल रूप से सहारनपुर निवासी दिल्ली निवासी गौरव कुमार (34वीं रैंक) ने जैसे ही देर शाम यह बात अपने करीबी मित्र नई शिवली रोड गौतम विहार (कल्याणपुर) निवासी विशाल मिश्रा (49वीं रैंक) से कही तो विशाल कुछ देर हक्का-बक्का रह गए। हालांकि गौरव ने फिर कहा कि भाई आइएएस का फाइनल रिजल्ट आ गया है और हम दोनों अब कलेक्टर बनेंगे तो विशाल की खुशी का ठिकाना न रहा।
तीन इंटरव्यू देकर मैंने सफलता हासिल कर ली
विशाल ने बताया कि इस सफलता के पीछे मेरे ‘पीएच फॉर्मूले यानी पेशेंस एंड हार्डवर्क की भूमिका सबसे अहम है। इसके अलावा हर घड़ी-हर पल मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया। इसी वजह से तीन इंटरव्यू देकर मैंने सफलता हासिल कर ली।10वीं की पढ़ाई जय नारायण विद्या मंदिर इंटर कॉलेज और 12वीं की पढ़ाई बीएनएसडी शिक्षा निकेतन से करने वाले विशाल ने एचबीटीआइ (मौजूदा समय में एचबीटीयू) से सिविल इंजीनियरिंगग की तैयारी की।
जीआइसी में प्रधानाचार्य के पद से रिटायर हुए हैं
इसके बाद वर्ष 2014 में आइआइटी से एमटेक की पढ़ाई पूरी की। फिर दिल्ली जाकर विशाल ने एक लक्ष्य साधा और आइएएस की परीक्षा पास कर ली। विशाल ने कहा, सबसे ज्यादा खुशी मेरे माता-पिता को है। पिता हरि प्रसाद मिश्रा कन्नौज स्थित जीआइसी में प्रधानाचार्य के पद से रिटायर हुए हैं, माता सुधा मिश्रा गृहणी हैं। भैया विवेक मिश्रा मेरठ स्थित रक्षा विभाग में ऑडिटर हैंं। विशाल ने कहा, दीदी और जीजा आशुतोष दीक्षित ने भी मेरी खूब मदद की।
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मूलरूप से गहलों, कानपुर देहात निवासी संघप्रिय ने जब छठवीं कक्षा में नवोदय विद्यालय में प्रवेश लिया था, तभी यह सोचा था कि एक दिन डीएम बनेंगे। शुक्रवार को जैसे ही सिविल सेवा परीक्षा-2017 के फाइनल रिजल्ट जारी हुआ तो संघप्रिय ने देखा कि उनकी ऑल इंडिया 92वीं रैंक है। फौरन ही घरवालों से बात कर खुशी के इस पल को साझा किया। अपनी इस सफलता का राज बताते हुए कहा कि प्री, मेंस और साक्षात्कार के लिए सबसे जरूरी है नियमित पढ़ाई।
दूसरे प्रयास में संघप्रिय ने यह सफलता अर्जित की। फिलहाल कर्रही स्थित घर में उनके पिता जयकृष्ण (स्वास्थ्य पर्यवेक्षक) और माता माधुरी देवी (गृहणी) को बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। संघप्रिय ने आइआइटी कानपुर से ही मैकेनिकल इंजीनियङ्क्षरग से बीटेक की पढ़ाई की। संघप्रिय का छोटा भाई मौजूदा समय में आइआइटी कानपुर से पढ़ाई कर रहा है।
मेहनत और परिवार का साथ है जरूरी
बुलंदशहर स्थित टीचर्स कॉलोनी निवासी अभिमन्यु मांगलिक ने सिविल सेवा परीक्षा-2017 के फाइनल रिजल्ट में ऑल इंडिया 128वीं रैंक हासिल की। अभिमन्यु का कहना है, इस सफलता के लिए मेहनत और परिवार का साथ सबसे ज्यादा जरूरी रहा। बता दें, अभिमन्यु के पिता प्रमोद मांगलिक सीए हैं और माता विभा मांगलिक गृहणी हैं।
मंजिल तय कर बढ़ाते गए कदम, मिली सफलता
लखनऊ स्थित साउथ सिटी में रहने वाले शक्तिमोहन अवस्थी ने ऑल इंडिया 296वीं रैंक हासिल की। दिल्ली में रहकर तैयारी कर रहे शक्तिमोहन ने कहा कि उसने अपनी मंजिल तय कर ली थी, उसके बाद कदम बढ़ाते गए और सफलता मिल गई। यह शक्ति का दूसरा प्रयास था। शक्ति के पिता शीलमोहन अवस्थी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी में प्रशासनिक अधिकारी हैं और माता ऊषा अवस्थी गृहणी हैं। शक्ति ने कहा कि उनके दादा ब्रजमोहन अवस्थी ने उनकी हर पल मदद की।
खुद की तैयारी आई काम, पा लिया मुकाम
वाराणसी के लंका निवासी अजय यादव ने सिविल सेवा परीक्षा-2017 के परिणाम में ऑल इंडिया स्तर पर 333वीं रैंक हासिल की। अजय ने कहा, उन्होंने आइआइटी खडग़पुर से केमिकल इंजीनियङ्क्षरग की पढ़ाई पूरी करने के बाद दो साल तक बतौर केमिकल इंजीनियर काम किया। किस्मत को कुछ और मंजूर था। अक्टूबर 2015 से सिविल सेवा परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की और शुक्रवार को जारी परिणाम में सफलता हासिल कर ली। अजय के पिता श्रीराम दुलार यादव अपना व्यवसाय करते हैं और माता ललिता देवी गृहणी हैं।
किसान के बेटे हैं अनुभव सिंह
सरायममरेज थानाक्षेत्र के दसेर गांव निवासी अनुभव सिंह ने 8वीं रैंक हासिल कर इलाहाबाद का मान बढ़ाया है। टाप टेन में उनका नाम शहर का गौरव बढ़ाने वाला रहा। किसान परिवार में जन्मे अनुभव की एक बहन है। पिता धनंजय सिंह किसान और मां सुषमा सिंह इंटर कॉलेज में कर्मचारी हैं। उन्होंने गांव के प्राथमिक विद्यालय से 8वीं तक की पढ़ाई की। फिर शिवकुटी स्थित बीबीएस इंटर कालेज से इंटरमीडिएट। आइआइटी रुड़की से वर्ष 2015 में बीटेक की। अनुभव के बाबा पारसनाथ सिंह इंटर कालेज में उप प्रधानाचार्य रह चुके हैं। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने बाबा को ही देते हैं। उन्होंने 2016 में 683 रैंक हासिल की थी।
छात्रावासों में जश्न का माहौल
साथियों की सफलता से छात्रावासों एवं डेलीगेसी में जश्न का माहौल रहा। इलाहाबाद विवि के एएनझा, जीएनझा, हालैंड हाल, पीसीबी, शताब्दी और महिला छात्रावास सहित विभिन्न हास्टलों में छात्र छात्राओं ने जमकर खुशी मनाई। पिछले वर्ष इलाहाबाद की सौम्या पांडेय ने चौथी रैंक हासिल कर शहर का गौरव बढ़ाया था। इससे पहले 2009 में अल्लापुर की ईवा सहाय को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ था। इस बार उत्सव गौतम को 33वीं, विशाल मिश्र को 49वीं, अनमोल श्रीवास्तव को 83वीं, सन्नी कुमार सिंह 91वीं, अनिरूद्ध कुमार 146वींरैंक मिली है।
किसान की बेटी इल्मा की 217वीं रैंक
मुरादाबाद : कुंदरकी कस्बे की बेटी इल्मा अफरोज ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 217वीं रैंक हासिल करके पिता और परिवार का नाम रोशन किया है। शुरुआत से टॉपर रहीं इल्मा ने लंदन और पेरिस में स्कालरशिप से पढ़ाई की। शुक्रवार रात जब नतीजे की जानकारी हुई तो पहला शब्द जय हिंद निकला। जब मां को जब बताया तो उन्होंने बेटी इल्मा और बेटे अरफात अफरोज को गले से लगा लिया।
मुरादाबाद से 18 किमी दूर कुंदरकी कस्बे की रहने वाली इल्मा जब 14 वर्ष की थीं तब उनके पिता काजी अफरोज अहमद का इंतकाल हो गया। वह एक किसान थे। उनके निधन के बाद मां ने परिवार संभाला। बेटी की प्रतिभा को पहचाना और पढऩे के लिए प्रेरित किया। नजीता यह हुआ कि पढ़ाई में अव्वल रहने वाली इल्मा ने देश-विदेश में वाद-विवाद प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। सफलता हासिल करने पर उनकी आंखों से खुशी के आसूं छलक उठे।
दरअसल, पिता के नहीं होने पर उनकी इच्छा पूरा करना किसी परीक्षा से कम नहीं था, जब सफलता मिली तो परिवार में खुशियां छा गईं। बधाई देने वालों का तांता लग गया। इल्मा अफरोज ने प्रारंभिक शिक्षा कुंदरकी से प्राप्त की। कक्षा आठ के उपरांत मुरादाबाद आकर पढ़ाई करते हुए इंटर किया। दिल्ली के प्रख्यात सेंट स्टीफंस कॉलेज से दर्शनशास्त्र में बीए आनर्स में टॉप किया। इसके बाद लंदन, पेरिस, न्यूयॉर्क तक स्कालरशिप के माध्यम से पढ़ाई की।
आगरा के उत्सव को मिली 33वीं रैंक
आगरा : शहर के दो युवा आइएएस बन गए हैं। एक युवा उत्सव गौतम मथुरा रिफाइनरी में कर्मचारी रहे हैं तो दूसरे वैभव शर्मा सहारनपुर की बेहट तहसील में एसडीएम पद पर तैनात हैं। उत्सव गौतम ने 33वीं रैंक हासिल कर शहर का गौरव बढ़ाया हैै, जबकि वैभव शर्मा ने 179 रैंक हासिल की है। दोनों में समानता यह है कि दोनों आइआइटी से बीटेक की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं और दोनों ने सीबीएसई बोर्ड से पढ़ाई की है। आइएएस में चयनित होने के बाद उत्सव गौतम ने बताया कि हाईस्कूल तक की पढ़ाई एयरफोर्स स्कूल से की, जबकि इंटर आगरा पब्लिक स्कूल से किया। आइआइटी पटना से इलेक्ट्रिकल ब्रांच में बीटेक किया। 2014 में प्लेसमेंट के तहत मथुरा रिफाइनरी में नौकरी लगी। 10 माह के बाद नौकरी छोड़ दी क्योंकि आइएएस बनना था। वे चौथे प्रयास में आइएएस चुने गए हैं।
वहीं वैभव शर्मा के पिता राकेश बाबू रेलवे में सहायक मंडल विद्युत इंजीनियर हैं। वैभव ने 2011 में आइआइटी बीएचयू से बीटेक किया है। 2013 में पीसीएस चुने गए। वर्तमान में सहारनपुर की बेहट तहसील में एसडीएम हैं। आइएएस के लिए उनका यह चौथा प्रयास था।
आरआरआइटीएम में ट्रेनिंग कर रहे 11 अफसरों ने दिखाया दम
लक्ष्य पर रही केंद्रित187 वीं रैंक हासिल करने वाली हसीन रिजवी भारतीय रेलवे परिवहन प्रबंधन संस्थान लखनऊ में प्रशिक्षण कर रही हैं। हसीन का मानना है कि लक्ष्य को ध्यान में रखकर यदि तैयारी की जाए तो हर परीक्षा में सफलता दर्ज कराई जा सकता है। मेहनत ही कामयाबी का मूलमंत्र है। हसीन के पिता हसन रजा सेवा निवृत्त असिस्टेंट कमिश्नर व मां शहला नकवी गृहिणी हैं।लक्ष्य पर रही केंद्रित187 वीं रैंक हासिल करने वाली हसीन रिजवी भारतीय रेलवे परिवहन प्रबंधन संस्थान लखनऊ में प्रशिक्षण कर रही हैं। हसीन का मानना है कि लक्ष्य को ध्यान में रखकर यदि तैयारी की जाए तो हर परीक्षा में सफलता दर्ज कराई जा सकता है। मेहनत ही कामयाबी का मूलमंत्र है।
हसीन के पिता हसन रजा सेवा निवृत्त असिस्टेंट कमिश्नर व मां शहला नकवी गृहिणी हैं।फोकस होकर करें तैयारी1सिविल सर्विसेज में 84 वीं रैंक हासिल करने वाले मनीष राय इस समय हैदराबाद बाद में आइपीएस की ट्रेनिंग कर रहे हैं। उनका लक्ष्य आइएएस बनना था और उसे उन्होंने हासिल किया। इनके पिता सिकंदर राय किसान हैं। मनीष कहते हैं कि अगर सफल होना है तो आप फोकस होकर तैयारी करें। कभी भी आत्मविश्वास को टूटने न दो और गलतियों से सबक सीखकर आगे बढ़ो।
टाइम मैनेजमेंट से मिली जीत 38 वीं रैंक हासिल करने वाली अपर्णा गुप्ता साल 2017 से भारतीय रेलवे परिवहन प्रबंधन संस्थान लखनऊ में प्रशिक्षण कर रही हैं। मूलत: दिल्ली की रहने वाली अपर्णा अपनी सफलता का मूल मंत्र बेहतर टाइम मैनेजमेंट बताती हैं। कहती हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं में स्वयं को तैयार करना पड़ता है। अपर्णा के पिता सुशील गुप्ता दिल्ली में व्यवसायी व मां शशि गुप्ता सरकारी सेवा में हैं।
सिंधी साहित्य में सफलता कृष्णानगर में रहने वाले संदीप भागिया ने सिविल सर्विसेज में 30 वीं रैंक हासिल की है। इनके पिता दर्शनलाल शिव शांति आश्रम में सेवादार हैं। संदीप ने सिंधी साहित्य लेकर सिविल सर्विसेज की तैयारी की और सफलता हासिल किया। इन्होंने आइआइटी दिल्ली से बीटेक व एमटेक की पढ़ाई की और फिर सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए।
चुनिंदा किताबों से करें तैयारी गोमतीनगर में रहने वाले अंकुर तिवारी ने सिविल सर्विसेज में 543 वीं रैंक हासिल की है। इनके पिता अवधेश कुमार मिश्र एलडीए में अधिशासी अभियंता हैं। अंकुर कहते हैं कि बहुत ज्यादा कोर्स मैटेरियल जुटाने से कुछ नहीं होता आप चुनिंदा पुस्तकों से पढ़ाई करें। हमेशा लक्ष्य को लेकर स्पष्टता होनी चाहिए कि आखिर हम इसे क्यों चुन रहे हैं।
धैर्य बहुत जरूरी सिविल सर्विसेज में 105 वीं रैंक हासिल करने वाली अंकिता मिश्र कहती हैं कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। टाइम टेबल का सख्ती के साथ पालन करें तभी सफलता मिलेगी। न्यूनतम नौ घंटे पढ़ाई करें। मानव विज्ञान विषय लेकर इन्होंने सिविल सर्विसेज में सफलता हासिल की। गोमतीनगर में रहने वाली अंकिता के पिता बीके मिश्र बिजनेसमैन हैं
तैयारी पर करें भरोसा सिविल सर्विसेज में विशाल मिश्र ने 49 वीं रैंक हासिल की है। मूलरूप से कानपुर के कल्याणपुर में रहने वाले विशाल मिश्र ने आइआइटी कानपुर से एमटेक किया है। समाजशास्त्र विषय लेकर इन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी की। इनके पिता हरि प्रसाद मिश्र शिक्षा विभाग से प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। विशाल कहते हैं, खुद की तैयारी पर भरोसा रखना जरूरी है।
इन्हें भी मिली सफलता:
साक्षी गर्ग- एआइआर 350
सूरज पटेल- एआइआर 475
अभिनव कुमार सिंह- एआआर 526
सौरभ गंगवार- एआइआर 569
सृष्टि चौरसिया- एआइआर 603
मनोज कुमार- एआइआर 675
अनिल कुमार वर्मा- एआइआर 732
मयंक वर्मा- एआइआर 851
अभिनव सोनकर- एआइआर 882
आशीष कुमार- एआइआर 968
दैनिक जागरण
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