BJP नेता को अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण से रोका, जिग्नेश समर्थक हिरासत में
गुजरात के अहमदाबाद में अंबेडकर जयंती के मौके पर बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचे बीजेपी नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ा है। यहां बीजेपी सांसद किरीट सोलंकी अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए पहुंचे थे। इस दौरान लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि ये लोग जिग्नेश मेवानी के समर्थक थे।
नेता अंबेडकर की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने पहुंचे
इससे पहले शुक्रवार को दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने धमकी दी थी कि बीजेपी के किसी भी नेता को अंबेडकर कि प्रतिमा पर फूल नहीं चढ़ाने देंगे। दूसरी ओर अहमदाबाद में कड़ी सुरक्षा के बीच बड़ी तादाद में कार्यकर्ताओं के साथ बीजेपी नेता अंबेडकर की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने पहुंचे। विरोध करने वालों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इस दौरान मीडिया से बातचीत में बीजेपी नेता सोलंकी ने कहा कि बाबा साहेब हमारे देवता हैं, जिग्नेश कौन होता है, हमें उन्हें फूल चढ़ाने से रोकने वाला?
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एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में जिग्नेश मेवानी ने शुक्रवार को ऐलान किया था कि 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के मौके पर किसी भी भाजपा नेता को बाबा साहेब अंबेडकर के स्टेच्यू को हाथ नहीं लगाने दिया जाए। मेवानी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी की राजनीति को देखें, तो लगता है कि जुबान पर बाबा साहेब अंबेडकर का नाम है, लेकिन दिल में उनके मनु छुपा बैठा है। मेवानी ने कहा कि अब तक 11 दलित मारे गए हैं, लेकिन उन्होंने एक शब्द नहीं बोला।
कच्छ के दलितों के साथ अन्याय हुआ हैं
ऊना पीड़ितों के मामले में भी उन्होंने एक शब्द नहीं बोला।गुजरात के वडगाम से सांसद मेवानी ने कहा कि ये लोग संविधान को बदलना चाहते हैं, उनके नेता अनंत कुमार हेगड़े साफ तौर पर कह चुके हैं कि संविधान को बदलने के लिए हम यहां हैं। ये लोग एससी-एसटी एक्ट को खत्म करना चाहते हैं। इससे पहले मेवाणी ने 14 अप्रैल यानी डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर की जयंती के मौके पर दलितों के न्याय के लिए हाईवे जाम करने का ऐलान किया था, लेकिन अब जिग्नेश ने अपना आंदोलन वापस ले लिया है। दरअसल मेवाणी का कहना है कि कच्छ के दलितों के साथ अन्याय हुआ हैं।
कच्छ के रापर तहसील में दलित और कोली समाज को पिछले 30 सालों में सरकार से उनके हक की जमीन नहीं मिली है। जिग्नेश मेवाणी के आंदोलन के ऐलान के बाद शुक्रवार को कच्छ के कलेक्टर ने दलितों को एक ही दिन में 100 एकड़ से ज्यादा जमीन का कब्जा दिया। जिग्नेश ने इसे दलित आंदोलन की जीत करार दिया है।बता दें, 22 जनवरी को ही जिग्नेश मेवाणी ने कलेक्टर को और उससे दो दिन पहले गुजरात के चीफ सेक्रेटरी को ज्ञापन दिया था।
जमीन का कब्जा नहीं सौंपा जा रहा था
इसमें ये बताया गया था कि 1984 में सरकार के जरिए जो जमीन किसानों को दी गई थी, उस जमीन का कब्जा अभी तक किसानों को नहीं मिला है। किसानों की जमीन को लेकर जो मांग चली आ रही है, वो उन्हें दे दी जाए, वरना वो सामख्याली हाईवे जाम करेंगे।1984 में सरकार के जरिए दलित और कोली समाज को जमीन दी गई थी, लेकिन कानूनी तौर पर उन्हें जमीन का कब्जा नहीं सौंपा जा रहा था। सरकारी कागजों के मुताबिक दलित समाज को 3,300 एकड़ जमीन सौंपी जा चुकी है, जबकि कोली समाज को 2400 एकड़ जमीन सौंपी गई है। लेकिन यह जमीन दलितों और कोली समाज के लोगों को नहीं मिली।
AAJTAK
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