राज्यसभा में महाभियोग को मंजूरी न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी कांग्रेस
देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही कांग्रेस(Congress) राज्यसभा में इस प्रस्ताव को मंजूरी न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक यदि उप-राष्ट्रपति की ओर से महाभियोग प्रस्ताव को खारिज किया जाता है तो फिर पार्टी शीर्ष अदालत का रुख करेगी। सोमवार को कांग्रेस की ओर से राज्यसभा चेयरमैन के समक्ष चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया जा सकता है।
कांग्रेस की तरफ से पूरी है प्रक्रिया
कहा जा रहा है कि जरूरी संख्या में सांसदों के हस्ताक्षर इस प्रस्ताव पर कराए जा चुके हैं। हालांकि कांग्रेस के भीतर इस बात पर चर्चा चल रही है कि यदि उप-राष्ट्रपति की ओर से इस प्रस्ताव को खारिज किया जाता है तो अगला कदम क्या होगा। इस बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकालत के पेशे से जुड़े सांसदों पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उन जजों के समक्ष पेश होने पर रोक लगा दी है, जिनके खिलाफ वे महाभियोग की मांग कर रहे हैं।
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प्रस्ताव स्वीकार न होने पर सुप्रीम कोर्ट जा सकती है कांग्रेस
राज्यसभा के चेयरमैन पर यह अधिकार होता है कि वह महाभियोग के प्रस्ताव को स्वीकार करें या फिर खारिज कर दें। सत्ता पक्ष के रवैये को देखते हुए लगता है कि इसे राज्यसभा चेयरमैन की मंजूरी नहीं मिल सकेगी। यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस के रणनीतिकारों को मानना है कि उन्हें इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए। यदि प्रस्ताव को उप-राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिलती है तो शीर्ष अदालत में कांग्रेस यह तर्क देगी कि उनका फैसला अतार्किक और अस्वीकार्य है और इसे बदला जाना चाहिए।
संवैधानिक बाध्यता भी नहीं आएगी आड़े
संविधान के आर्टिकल 105 के मुताबिक विधायिका की कार्यवाही में न्यायपालिका दखल नहीं दे सकती। हालांकि कानूनी जानकारों का कहना है कि किसी प्रस्ताव को मंजूरी देना या नहीं देना, सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं है। यह सदन के प्रशासनिक कार्यों के दायरे में आता है, ऐसे में प्रशासनिक फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जा सकती है।