पंचायत के फैसले पर युवती की पेड़ से बांधकर की पिटाई
जब दुनिया धरती को छोड़कर मंगल ग्रह पर अपना आशियाना बनाने के सपने देख रही हो..इंटरनेट की स्पीड से कहीं तेज लोगों की जिंदगी दौड़ रही हो, और देश को विश्वगुरू बनाने के सपने देखे जा रहे हों, ऐसे दौर में अगर किसी महिला को सिर्फ इसलिए पेड़ से बांधकर उसकी बेल्ट से पिटाई की जाती हो क्योंकि उसने किसी से प्रेम किया और घर से चली गई। ऐसे दौर में हम किस 21वीं सदी की बात कर रहे हैं जब किसी महिला को घर से भागने की इतनी सख्त सजा दी जा रही हो..जिसको देखकर इंसानियत की रुह तलक कांप जाए।
पंचायत ने सुनाया तुगलकी फरमान
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के स्याना कोतवाली इलाके में एक महिला के घर से भाग जाने को लेकर पंचायत बैठाई गई और फैसला दिया गया कि महिला को पेड़ से बांधकर उसकी पिटाई की जाए। पंचायतों के इस तरह से फैसले देश के संविधान और सरकार को ठेंगा दिखाकर कह रहे हैं कि हम इस देश के बाशिंदे जरुर हैं लेकिन हमारी पंचायतें(panchayat) संविधान से बढ़कर हैं।शायद यही वजह है कि पंचायत के इस फरमान को भगवान का फैसला मानकर लोगों ने महिला को पेड़ से लटका दिया और चमड़े के पट्टे से पीटना शुरू कर दिया। सैकड़ों की भीड़ तमाशबीन बनकर इस दुर्दांत दृश्य को देखती रही और वीडियो बनाती रही लेकिन किसी को भी उस महिला की दर्द से उठ रही चीखें सुनाई नहीं दे रही थी। एक के बाद एक उसके ऊपर पट्टे बरसाए जा रहे थे और भीड़ मूकदर्शक बनी तमाशा देख रही थी।
क्या संविधान से बढ़कर हैं पंचायतें
देश में ऐसी पंचायतों(panchayat) पर आखिर कब लगाम लगेगी, क्या ये पंचायते देश के संविधान से बढ़कर हैं जो इस देश के कानून को ताक पर रखकर अपने फैसले सुनाती हैं। जब देश की बेटियां आसमान की ऊंचाइयों को नाप रही हों, देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर जज्बे के साथ दुश्मनों से लोहा लेने के लिए खड़ी हों ऐसे समय में इस तरह की तस्वीरें देश के पिछड़ेपन की हकीकत को दिखाती हैं और चीख-चीख कर कहती रही हैं कि आज भी महिलाओं को सिर्फ भोग-विलास की चीजों से ज्यादा कुछ भी नहीं समझा जाता है।
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समाज बदलेगा तभी देश बदलेगा
एक तरफ सरकार बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारे दे रही है और हजारों करोड़ की योजनाएं बेटियों के लिए चला रही हो उस दौर में किसी महिला को इस तरह से पीटना समाज की ओछी मानसिकता को दिखाता है। हैवानियत की ऐसी तस्वीरें तब तक आती रहेंगी जब तक ये समाज और ऐसी पंचायते(panchayat) अपनी सोच और अपना नजरिया नहीं बदलती हैं। सरकार कितनी भी कोशिश कर ले देश को 21वीं सदी का भारत बनाने के लिए, लेकिन ये तबतक मुमकिन नहीं होगा जब तक देश में ऐसी पंचायतें और इन पंचायतों को मानने वाले मौजूद हैं।