राज्यसभा चुनाव हुआ दिलचस्प, शुरू हुई डिनर डिप्लोमेसी
राजा भैया की ओर रहेगी लोगों की निगाहें
आशीष बागची/मार्तंड सिंह
यूपी में राज्यसभा के लिए 23 मार्च को होने वाले मतदान में यों तो दस सीटें हैं पर बाकी सीटों को छोड़कर दसवीं सीट के लिए चुनाव बेहद दिलचस्प ( interesting) हो गया है। इसमें कुछ विधायकों की ओर से क्रास वोटिंग करने व कुछ के पार्टी ह्विप के बावजूद इधर-उधर जाने से समीकरण उलट सकता है।
इस दसवीं सीट के लिए देखना दिलचस्प होगा कि यह भाजपा के अनिल अग्रवाल के हाथों लगती है या बसपा के भीमराव आंबेडकर के हाथों। वैसे इस चुनाव में निर्दलीय राजाभैया की ओर लोगों की निगाहें रहेंगी कि उनका झुकाव किस ओर है। वे जिस ओर झुकेंगे उधर के उम्मीदवाद का पलड़ा भारी रहेगा।
मौजूदा सियासी गणित
गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा उपचुनावों के बाद जो समीकरण बने हैं, उसने कयासों का बाजार गर्म कर दिया है। यह माना जा रहा है कि राज्य से भाजपा आठ व सपा का एक उम्मीदवार आसानी से राज्यसभा जा सकता है। हालांकि, 10वीं सीट पर बसपा के भीमराव आंबेडकर और भाजपा के लिए चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं।
अब देखिये गणित
यूपी विधानसभा में बसपा के कुल 19 विधायक हैं। इसके साथ ही कांग्रेस के 7 और रालोद के एक-एक विधायक भी बसपा को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं। अगर यही समीकरण मतदान वाले दिन भी रहा तो भीमराव आंबेडकर सदन में पहुंच सकते हैं। चूंकि राजभर की पार्टी भाजपा को लेकर नाराज चल रही थी, इसलिए उसके वोट को लेकर कयास थे। पर, अब लगता है उसे मना लिया गया है। इसलिए अब उसका वोट सीधे भाजपा के नवें उम्मीदवार को ही मिलेगा।
निर्दलीय विधायकों का अहम रोल
इस चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल की अहमियत बढ़ गयी है। उसका केवल एक ही विधायक है। राजाभैया के पास दो वोट हैं। वे खुद व उनका एक विधायक विमल कुमार है। राजाभैया का इस चुनाव में अहम रोल रहेगा क्योंकि बसपा ने अपनी सरकार के रहते राजा भैया के साथ जो व्यवहार किया उसे भुला पाना राजाभैया के लिए इतना आसान नहीं होगा। वहीं समाजवादी पार्टी के आखिरी सालों में अखिलेश व राजाभैया में दूरियां बढ़ गयीं थीं।
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रालोद का झुकाव विपक्षी गठबंधन की ओर हो सकता है। एक वोट विजय मिश्र का भी है। वे निषाद पार्टी से ज्ञानपुर विधानसभा से चुनाव जीते हैं। बसपा के शासनकाल में इनके साथ किया गया सुलूक इन्हें खूब याद होगा। इसी तरह नौतनवां से निर्दल जीतने वाले अमन मणि भी लोगों की निगाहों में हैं।कानूनी पचड़ों के चलते उनका झुकाव अगर भाजपा की ओर हो जाये तो यह विपक्ष के लिए एक झटका होगा।
डिनर डिप्लोमेसी शुरू
दूसरी ओर इसी दसवीं सीट के लिए उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में डिनर डिप्लोमेसी शुरू हो गयी है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गयीं हैं।
तय फार्मूले पर होता है राज्यसभा चुनाव
राज्यसभा चुनाव के लिए एक तय फॉर्मूला होता है। खाली सीटों में एक जोड़ से विधानसभा की कुल सदस्य संख्या से भाग देना। निष्कर्ष में भी एक जोड़ने पर जो संख्या आती है। उतने ही वोट एक सदस्य को राज्यसभा चुनाव जीतने के जरूरी होता है। अगर यूपी का उदाहरण लिया जाए तो 10 सीटों में 1 जोड़ा जाए तो योग हुआ 11. अब 403 को 11 से भाग देते हैं तो आता है 36.63। इसमें 1 जोड़ा जाए तो योग होता है 37.63. यानी यूपी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को 38 विधायकों का समर्थन चाहिए। हालांकि चूंकि एक विधायक का निधन हो चुका है इसलिए यहां 37 विधायकों के समर्थन से ही राज्यसभा उम्मीदवार की जीत तय हो जाएगी।
गणित बिठाने की कोशिशें तेज
सियासी दलों ने हर हाल में दसवीं सीट पर जीत के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। वे अपने-अपने दलों के विधायकों को डिनर या बैठकों के बहाने एकजुट करने में जुट गये हैं।
समाजवादी पार्टी की बैठक शुरू
समाजवादी पार्टी ने बुधवार को पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की अध्यक्षता में विधायकों की बैठक लखनऊ पार्टी कार्यालय में आहूत की। इसमें अधिकांश विधायक मौजूद थे। समाचार लिखे जाने तक सपा की मीटिंग से शिवपाल अनुपस्थित हैं। बताया जा रहा है कि आजम खां भी अनुपस्थित हैं। वे बसपा से गठबंधन को लेकर नाराज चल रहे हैं।
सपा विधायकों का पांच सितारा डिनर
सुना जा रहा है राज्यसभा चुनाव की रणनीति तय करने के वास्ते समाजवादी पार्टी (एसपी) अपने विधायकों को पांच सितारा होटल में डिनर देने जा रही है। सपा की डिनर डिप्लोमेसी के बाद बाकी पार्टियों ने भी ऐसा ही करने की योजना बनायी है, लेकिन कांग्रेस ने डिनर के लिए जगह का खुलासा नहीं किया है। दूसरी ओर बीजेपी ने सीएम आवास पर तो बीएसपी प्रमुख मायावती ने अपने घर पर ही विधायकों को बुला लिया है।
एसपी विधायक लखनऊ छोड़कर न जायें
राज्यसभा चुनाव में वोटिंग से ठीक पहले समाजवादी पार्टी लखनऊ के ताज होटल में बुधवार और गुरुवार को डिनर का आयोजन किया है। पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश ने सभी विधायकों से कह दिया है कि वे तीन दिन शहर छोड़कर न जाएं। कहा तो यह जा रहा है कि कहने को तो 21 मार्च का डिनर गौरीगंज के सपा विधायक राकेश सिंह की ओर से लोकसभा उपचुनाव जीतने की खुशी में दिया जा रहा है, पर इसके पीछे मकसद विधायकों को एकजुट रखना है।
गैरमौजूदगी का मतलब निष्ठा पर शंका
जानकार बताते हैं कि डिनर में किसी भी विधायक की गैरमौजूदगी उसकी निष्ठा पर सवाल खड़े करेगी। 22 मार्च की डिनर पार्टी का आयोजन एक एमएलसी ने किया है।
विधायकों की ट्रेनिंग के बहाने रणनीति
भाजपा के विधायकों को सीएम योगी के निवासस्थान पर पर बुधवार शाम चार बजे बुलाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दोनों डेप्युटी सीएम (केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा) और सभी मंत्री व विधायक इसमें मौजूद रहेंगे। हालांकि एक भी विधायक न छिटक पाये बैठक इसलिए बुलाई जा रही है पर कहा जा रहा है कि विधायकों को यह भी बताया जाएगा कि राज्यसभा के लिए वोट कैसे दिए जाते हैं। सीनियर या राज्यसभा चुनावों में हिस्सेदारी कर चुके लोग इस ट्रेनिंग को अंजाम देंगे। भाजपा को इस बात की आशंका अधिक है कि कहीं उसका कोई वोट अवैध न हो जाए। ट्रेनिंग में चाय और बाद में भोजन की भी व्यवस्था रहेगी।
मायावती व कांग्रेस ने भी बुलाई मीटिंग
कांग्रेस के विधानसभा में नेता अजय कुमार लल्लू ने भी बुधवार को कांग्रेस विधायकों को डिनर दिया। पार्टी ने 22 से 24 मार्च तक सभी विधायकों से राजधानी लखनऊ में ही रहने को कहा है। इस निमित्त उसने ह्विप भी जारी किया है। विधायकों को पहले ही बता दिया गया है कि वे बीएसपी के प्रत्याशी को वोट देंगे।
बसपा विधायक 22 मार्च को मीटिंग करेंगे
बीएसपी नेता मायावती ने 22 को अपने विधायकों की मीटिंग बुलाई है। इस दौरान पूरे दिन बीएसपी के विधायक मायावती के साथ रहेंगे। उन्हें भी बताया जाएगा कि वोट कैसे दिए जाएंगे? वोट किसे दिखाने हैं और किसे नहीं, यह भी बताया जाएगा। दरअसल बीसएपी को सेंध की आशंका है, इसलिए एक-एक विधायक से मायावती खुद बात करने वाली हैं। एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और आरएलडी को मिलाकर विपक्ष के पास 74 वोट हैं। एक सीट जीतने के लिए 37 वोटों की जरूरत है। अगर विपक्ष अपने सभी वोटों को एकजुट रखने में कामयाब हो गया तो कोई खतरा नहीं है लेकिन डर सेंधमारी का है। बीजेपी के पास 28 वोट अतिरिक्त हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में हुई थी क्रास वोटिंग
राष्ट्रपति चुनाव में 3 निर्दलीय विधायकों और निषाद पार्टी के एक विधायक ने बीजेपी को खुला समर्थन दिया था। लिहाजा बीजेपी इस राज्यसभा चुनाव में 32 वोट तय मानकर चल रही है। वहीं, विपक्ष के 7 विधायकों ने तब क्रॉस वोटिंग की थी। बीजेपी का हिस्सा बनने के बाद नरेश अग्रवाल ने अपने बेटे और एसपी विधायक नितिन अग्रवाल के बीजेपी का समर्थन करने की खुली घोषणा कर दी है। बीजेपी अगर फिर सेंधमारी में कामयाब हो गई, तो विपक्ष के दूसरे उम्मीदवार का हारना तय हो जाएगा।
इस तरह देखा जाये तो राज्यसभा चुनाव की दसवीं सीट के लिए न सिर्फ भाजपा बल्कि विपक्षी गठबंधन की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। देखना दिलचस्प होगा कि बाजी किसके हाथ लगती है।
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