2 दिन बाद 25 सीटों पर महामुकाबला
देश के 16 राज्यों की 58 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं इनमें से 10 राज्यों की 33 सीटों पर राज्यसभा सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। बाकी 6 राज्यों की 25 सीटों पर 23 मार्च को मतदान होना है। ये चुनाव बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए काफी अहम हैं क्योंकि उनके सामने विपक्ष की एकता को टक्कर देने की चुनौती है।
गौरतलब है कि गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश, हिमाचल, ओडिशा, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से राज्यसभा के लिए 33 सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। इन सभी दस राज्यों में नाम वापसी के बाद निर्धारित सीट के बराबर ही उम्मीदवार बचे थे। जबकि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, झारखंड, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चुनाव होने हैं। इन राज्यों में निर्धारित सीट से ज्यादा उम्मीदवार हैं।
भाजपा बेचैनी बढ़ गई है…
यूपी की 10 सीटों के लिए 23 मार्च को मतदान होगा। सूबे में 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। विधायकों की संख्या के लिहाज से बीजेपी के 8 और सपा के एक सदस्य की जीत तय है। जबकि एक सीट के लिए बीएसपी उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर और बीजेपी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी अनिल अग्रवाल के बीच मुकाबला है। बसपा उम्मीदवार अंबेडकर को सपा और कांग्रेस समर्थन कर रही हैं। अजित सिंह की पार्टी आरएलडी भी उनके समर्थन में है। वहीं बीजेपी के सहयोगी ओम प्रकाश राजभर और अपना दल दोनों के सुर बदले हैं। इससे बीजेपी की बेचैनी बढ़ गई है।
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बीजेपी सूबे की 9वीं राज्यसभा सीट पर निर्दलीय अनिल अग्रवाल को जिताने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी है। बीजेपी गठबंधन के पास 28 वोट अतरिक्त हैं, जबकि जीतने के 37 वोट की जरूरत है। इस तरह बीजेपी को 9 वोटों की जरूरत है। सपा से नाता तोड़कर बीजेपी में आए नरेश अग्रवाल और निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह से पार्टी को उम्मीदें हैं। जबकि राजभर और अपना दल की नाराजगी चिंता का सबब है। वहीं उपचुनाव में मिली जीत से विपक्ष के हौसले बुलंद हैं।
सपा,बसपा और कांग्रेस के विधायक पार्टी लाइन से अलग वोट करें इसकी संभावना कम है। झारखंड की दो राज्यसभा सीटों के लिए 3 उम्मीदवार मैदान में हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने धनबल वाले नेताओं को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में हॉर्स ट्रेडिंग के दंश से कौन सा दल घायल होगा, ये देखना दिलचस्प होगा। बीजेपी ने समीर उरांव और प्रदीप संथालिया पर दांव लगाया है तो कांग्रेस ने धीरज साहू को उतारा है।
दूसरे दलों के विधायकों को जोड़ने की कोशिश में लगे है
माना जा रहा है कि कांग्रेस ने धीरज साहू को महज इसलिए टिकट दिया है कि वे बीजेपी के पूंजीपति प्रत्याशी प्रदीप संथालिया का मुकाबला कर सकें। बीजेपी के पास 43 विधायक हैं। ऐसे में एक सीट पर आसानी से जीत है, लेकिन दूसरी सीट पर मुकाबला है। कांग्रेस को जेएमएम का साथ है। इसके अलावा बीजेपी और कांग्रेस दोनों अपने-अपने खेमे में दूसरे दलों के विधायकों को जोड़ने की कोशिश में लगे हैं।
कांग्रेस के पास 42 और वामदलों के पास 30 विधायक है
पश्चिम बंगाल की पांच राज्यसभा सीटों के लिए छह उम्मीदवार मैदान में हैं। राज्य में कुल 294 विधायक हैं। इनमें से टीएमसी के पास 213 विधायक हैं। कांग्रेस के पास 42 और वामदलों के पास 30 विधायक हैं। जबकि बंगाल में एक सीट के लिए 49 वोट चाहिए। इस तरह से टीएमसी के चारों उम्मीदवार का जीतना लगभग तय है। प्रदेश की पांचवीं सीट के लिए कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी और वामदल की ओर से सीपीएम नेता रॉबिन देब प्रत्याशी हैं। टीएमसपी प्रमुख ममता बनर्जी कांग्रेस के सिंघवी के समर्थन करने का ऐलान कर चुकी है।
टीएमसी के 17 अतरिक्त वोट के आने से कांग्रेस के 59 वोट होते हैं इससे सिंघवी की जीत तय मानी जा रही है। इसके बावजूद सीपीएम के रॉबिन देब मैदान में हैं और माना जा रहा है कि वे हारी हुई बाजी लड़ रहे हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले राज्यसभा चुनाव की जंग तेज है। प्रदेश की 4 राज्यसभा सीट के लिए 5 प्रत्याशी मैदान में हैं। कांग्रेस ने तीन, बीजेपी और जेडीएस ने एक-एक उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। राज्य में एक सीट के लिए 46 विधायकों के वोट चाहिए।
कांग्रेस के पास 122 विधायक हैं। इस तरह से कांग्रेस की दो सीटों पर जीत तय मानी जा रही है और तीसरी सीट के लिए 16 अतरिक्त वोटों की जरूरत पड़ेगी। बीजेपी की एक सीट पर जीतने के लिए 1 वोट कम है पर माना जा रहा है कि जीत निश्चित है। लेकिन जेडीएस के प्रत्याशी फारूक़ की राह मुश्किल है। कांग्रेस तीसरी सीट के लिए पूर्व आईपीएस राममूर्ति को जिताने की हरसंभव कोशिश में लगी है। कांग्रेस के 16 अतरिक्त वोटों के अलावा जेडीएस के 5 बागी विधायकों का समर्थन राममूर्ति को मिल रहा। इस तरह कांग्रेस 11 वोटों के लिए निर्दलीय विधायकों को साधने में लगी है।
राजनीतिक दलों के विधायक से संपर्क कर रहे है
कांग्रेस कुछ निर्दलीय विधायकों को मुंबई भी ले गई है। छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की एक सीट पर हो रहे चुनाव में सियासी और कोर्ट दोनों के जरिए लड़ाई लड़ी जा रही है। एक सीट के लिए कांग्रेस-बीजेपी आमने सामने हैं। कांग्रेस ने लेखराम साहू को उतारा है तो बीजेपी ने सरोज पांडेय को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस के साहू लगातार सभी राजनीतिक दलों के विधायकों से संपर्क कर रहे हैं। वे बीएसपी विधायकों के समर्थन के साथ बीजेपी सदस्यों से भी संपर्क साधने में जुटे हैं। कांग्रेस ने बीजेपी उम्मीदवार के प्रस्तावक बने संसदीय सचिवों को बर्खास्त करने की मांग पहले ही निर्वाचन अयोग और छत्तीसगढ़ राज्यपाल से की है।
बीजेपी प्रत्याशी के नामांकन रद्द करने की भी मांग की गई है। हालांकि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में संसदीय सचिवों के मामले में फैसला अभी सुरक्षित है। तेलंगाना की तीन राज्यसभा सीटों के लिए 4 उम्मीदवार मैदान में हैं। राज्य की सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने जे संतोष कुमार, बी लिंगैया यादव और बी प्रकाश को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस से केपी पलराम प्रत्याशी हैं। राज्य की 119 सीटों में से 90 विधायक टीआरएस के हैं। इस तरह से उसकी दो राज्यसभा सीट तय हैं। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम तेलंगाना में टीआरएस के तीसरे उम्मीदवार को समर्थन का ऐलान कर चुकी है। ओवैसी के 7 विधायक हैं। जबकि कांग्रेस के पास 13 विधायक हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस के लिए जीतना आसान नहीं है। इस तरह राज्यसभा सीटों पर टीआरएस की जीत की संभावना मानी जा रही है।
AAJTAK
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