…जब पीएम के जाते ही गमलों पर टूट पड़े स्थानीय
पीएम मोदी के जाते ही काशी के गमलों पर टूट पड़ी जनता। फ्रांसीसी राष्ट्रपति के आगमन पर पूरे काशी को दुल्हन की तरह सजाया गया था। दौरे के समाप्त होते ही सड़को के किनारे लगे गमलों पर वहां के स्थानीय लोग टूट पड़े । काशी की सड़के के किनारे लगे गमले जनता उठा अपने घर को सजा रहीं है।
पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों कल दिवसीय दौरे पर थे। उनके आगमन के लिए पूरी काशी को दुल्हन की तरह सजाया गया था। सड़को के किनारे गमले लगाए गये और घाटों की तो तस्वीर ही बदल दी गई थी। आपको बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन सोमवार को वाराणसी ( Varanasi) में थे, जिसे लेकर कई दिनों से तैयारियां चल रही थीं। पीएम संग फ्रांस के राष्ट्रपति को सब कुछ अच्छा दिखे इसके लिए क्या कुछ नहीं किया गया।
लंबे वक्त से खराब सड़कें चकाचक हो गईं तो वहीं साफ-सफाई भी ऐसी कि मानों वाराणसी किसी मेट्रो सिटी में कन्वर्ट हो गया हो, लेकिन दोनों वीआईपी के जाते ही बनारस अपने कुशल रूप में वापस आ गया।
पहले बिल्कुल चकाचक किया गया था
कुछ ऐसा ही हाल आज शहर के कई इलाकों समेत गंगा के घाटों का है, जिनको प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति के आने से पहले बिल्कुल चकाचक किया गया था। घाटों पर से गंदगी एकदम से गायब हो गई थी और घाट किनारे माला फूल से लेकर अन्य चीजें गंगा में से भी हटा दी गई थी, लेकिन आज इसके उलट हालात बद से बदतर हो चुके हैं। आलम यह है कि जहां घाटों पर गंदगी छाई है। वहीं गंगा किनारे भी यही आलम देखने को मिल रहा है।
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इस मामले को कांग्रेस ने भी मुद्दा बनाते हुए इस पर राजनीति भी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के खत्म होने के बाद सुबह कांग्रेस के नेता घाटों पर पहुंचे और गंदगी को देखकर सरकार को कोसना नहीं भूले। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय राय का कहना था कि मेहमान के सामने छवि बनाना अच्छी बात है, लेकिन इसे मेंटेन करना भी जरूरी है।
मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति के जाते ही लुट गए डिवाइडर पर लगाए गए गमले
कांग्रेस नेताओं का कहना था कि गंगा बदहाली की स्थिति में आ गई है। इस वजह से पानी में बदबू और गंदगी देखने को मिल रही है, जिसे छिपाने के लिए गंगा में कई 100 लीटर इत्र का छिड़काव किया गया था। अब जब दोनों राष्ट्राध्यक्ष जा चुके हैं तो गंगा किनारे का इलाका फिर से गंदगी और बदहाली की चपेट में है। इससे यह साफ हो रहा है कि सिर्फ अपनी छवि को सुधारने का प्रयास हो रहा है ना कि बनारस को साफ और सुथरा बनाने का।
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