#HappyHoli : यूपी के इस जिले में खेली जाती है ‘कुर्ता फाड़’ होली

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देश के अलग-अलग हिस्सों में होली की अलग-अलग परंपरा है। देश का एक ऐसा हिस्सा भी है जो ब्रज से सैकड़ों मील दूर है लेकिन यहां बिल्कुल वैसी ही होली मनाई जाती है।साइबर सिटी में कई प्रदेशों के लोगों के रहने की वजह से हर प्रदेश की होली यहां देखने को मिलती है। ब्रज के एक इलाके में लठ्ठमार होली तो दूसरे इलाके में होली की अलग आकर्षक परंपरा चली आ रही है।

भांग के साथ बिहार में होली का अपना महत्व है

गुरुग्राम में रहने वाले बिहार मूल के लोगों की होली का अपना अलग अंदाज यहां देखने को मिलता है। फाल्गुन में भांग के साथ बिहार में होली का अपना महत्व है। स्थानीय बिहारी समुदाय में अभी से तैयारी शुरू हो गई है। बिहार की होली के प्रचलन ने साइबर सिटी में भी अपना ही रंग जमा लिया है।होली के दिन यहां ‘कुर्ता फाड़ होली’ देखने को मिलती है। बिहार में होली के गायन की अपनी परंपरा रही है और यह गुरुग्राम की गलियों में सुनी जा सकती है।

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यहां भोजपुरी और मगही बोली के गीत लोग गाते गुनगुनाते रहते हैं। होली गीतों के गायन से क्षेत्र विशेष के लोगों के बीच परंपराओं की जानकारी मिल जाती है।बिहार में कादो (कीचड़) से होली की परंपरा साइबर सिटी में कम देखने को मिलती है, लेकिन कॉलोनियों में रहने वाले इसमें भी दिल खोलकर हिस्सा लेते हैं। इसमें कीचड़ के साथ गोबर का मिश्रण बनाया जाता है।

अपने शबाब पर है और इसे सभी आजमाते हैं

बिहारी मूल के युवाओं की मंडली दो समूहों में बंटकर अकसर इसे आजमाती है। दोपहर बाद यहां रंग और अबीर से फिर होली खेली जाती है।कादो और कपड़ा फाड़ होली के कारण अक्सर लोग पुराने कपड़े को पहले पहर में प्राथमिकता देते हैं। इसके बाद नहा-धोकर साफ सुथरे या नए कपड़े में अबीर की होली खेली जाती है। पहले इसमें होली गायन का दौर होता था, लेकिन अब बदलते समय में गायन खत्म हो गया है, पर कुर्ता फाड़ होली जिंदा है। साइबर सिटी में यह अपने शबाब पर है और इसे सभी आजमाते हैं।

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