PNB Scam :नियमों को ताक पर रखकर डिप्टी मैनेजर ने जारी किए LoU
PNB महाघोटाले में डायमंड कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की मदद के लिए बैंक का पूर्व डेप्युटी मैनेजर गोलकुनाथ शेट्टी ने बड़ी तत्परता दिखाई थी। शेट्टी ने अपने रिटायरमेंट के पहले नीरव और चौकसी के लिए लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग्स (LoU) खूब तेजी के साथ जारी किए थे। जांच एजेंसियां अब बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर कैसे इतनी जल्दी-जल्दी इतने LoU जारी किए गए।
नियमों को ताक पर रख कर देते रहे नीरव को पैसा
PNB द्वारा शेयर किए डेटा के मुताबिक 11,300 करोड़ रुपये के इस फ्रॉड में 63 दिनों में ही 143 LoU जारी कर दिए गए थे जबकि 2011 में कुल 150 LoU जारी किए गए थे। बता दें 2011 में इस कथित घोटाले की शुरुआत हुई थी। LoU जारी करने की गति इतनी तेज थी कि अगर बैंकों में रविवार, राष्ट्रीय अवकाश और महीने के दूसरे तथा चौथे शनिवार को छुट्टी नहीं होती तो यह और भी ज्यादा होता। पहले जारी 150 LoU में 6,500 करोड़ रुपये की निकासी हुई। दूसरे दौर में जारी 143 LoU में कुल 3,000 करोड़ रुपये का चूना PNB को लगा।
सीबीआई अब इस मामले की तह तक जाने की कोशिश करेगी कि आखिर शेट्टी ने अपने रिटायरमेंट और SWIFT ऐक्सेस खोने से पहले इतनी जल्दी-जल्दी LoU क्यों जारी किए। इन्हीं LoU के जरिए नीरव और मेहुल ने दूसरे बैंकों से पैसे लिए। सीबीआई की FIR को देखने के बाद पता चलता है कि कुछ LoU तो 365 दिन तक के लिए जारी किए, जो 90 दिन के नॉर्म के खिलाफ थे।
शेट्टी पिछले साल मई के अंत में रिटायर हो गया था। जांच एजेंसियों को आशंका है कि शेट्टी ने लॉन्ग टर्म का LoU जारी कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि नीरव और मेहुल को कम से कम एक और साल के लिए पैसा मिलता रहे।
पिछले साल मार्च तक से LoU जारी करने की गति में तेजी आई और 1 मार्च से 2 मई 2017 तक औसतन हर रोज दो LoU जारी किए गए। इनसे सबसे ज्यादा चौकसी के उद्योग को फायदा हुआ। हालांकि इस दौरान नीरव की कंपनी के लिए कितने LoU जारी किए गए इसका डेटा अभी उपलब्ध नहीं हो पाया है।
चौकसी की कंपनियों ने 2 से तीन लाख डॉलर का कर्ज लिया
21 मार्च 2017 को PNB ने बैंक ऑफ इंडिया के एंटवर्प ब्रांच के नाम चौकसी की तीन कंपनियों गीतांजलि जेम्स, गिली इंडिया और नक्षत्र ब्रैंड के लिए 10 LoU जारी किए गए। इन LoU के आधार पर चौकसी की कंपनियों ने 2 से तीन लाख डॉलर का कर्ज लिया।
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इसके अगले ही दिन 14 और LoU बैंक ऑफ इंडिया के एंटवर्प ब्रांच को चौकसी की कंपनियों के लिए जारी किए गए। इसी तरह एक और 10 मार्च 2017 को 33 LoU एसबीआई की मॉरीशस ब्रांच के लिए जारी किए गए। इसके बाद 29 अप्रैल से दो मई के बीच आधा दर्जन और LoU जारी किए गए। फिर 5 से 12 अप्रैल तक जारी 21 LoU के आधार पर एसबीआई की फ्रैंकफर्ट ब्रांच को चौकसी की कंपनियों के लिए कर्ज मुहैया कराने को कहा गया। इसी तरह के LoU कई भारतीय बैंकों की हॉन्ग कॉन्ग और बहरीन स्थित विदेशी शाखाओं के लिए जारी किए गए थे। सबसे खास बात यह है कि ज्यादातर LoU का इस्तेमाल आरोपी कंपनियों ने इसके जारी होने के ही दिन या फिर अगले ही दिन कर लिया। सूत्रों ने बताया कि LoU जारी करने की गति संदिग्ध है। उन्होंने बताया कि कुछ LoU की डिटेल गायब है।
सूत्रों ने बताया कि पूछताछ के दौरान PNB के कर्मचारी मनोज खरात ने स्वीकार किया कि यह लगातार हो रहा था और PNB के कई अन्य अधिकारी पहले ऐसा कर चुके थे। 2017-18 में जारी ज्यादातर LoU मुख्यत: पहले जारी LoU के रिनूअल के लिए ही था।
क्या है LoU
इस पूरे मामले की जड़ मे लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी एलओयू शामिल है। यह एक तरह की गारंटी होती है, जिसके आधार पर दूसरे बैंक खातेदार को पैसा मुहैया करा देते हैं। अब यदि खातेदार डिफॉल्ट कर जाता है तो एलओयू मुहैया कराने वाले बैंक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाए का भुगतान करे।
(साभार- नवभारत टाइम्स)