नेतन्याहू को पीएम मोदी ने गले लगाकर किया स्वागत
इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू 6 दिन की यात्रा पर भारत पहुंच चुके हैं। उनके साथ 130 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल भी इस दौरे पर आया है। किसी विदेशी दौरे पर प्रधानमंत्री के साथ जाने वाला यह सबसे बड़ा व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। इस्राइली पीएम के प्लेन से उतरते ही पीएम मोदी ने नेतन्याहू से हाथ मिलाया और गले मिले। 15 साल बाद कोई इस्राइली पीएम भारत यात्रा पर आया है।
कई अहम समझौतों पर लगेगी मुहर
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस्राइल और भारत के बीच कई अहम समझौते होंगे। इसके अलावा पीएम मोदी और उनके समकक्ष नेतनयाहू तीन मूर्ति चौक का नाम बदलकर तीन मूर्ति हाइफा चौक करने के मौके पर यहां तीन मूर्ति मेमोरियल में एक औपचारिक समारोह में हिस्सा लेंगे। दोनों नेता यहां स्मारक पर पुष्पांजलि देंगे और आगंतुक पुस्तिका में दस्तखत करेंगे। तीन मूर्ति पर कांस्य की तीन मूर्तियां हैदराबाद, जोधपुर और मैसूर लैंसर का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो 15 इंपीरियल र्सिवस कैवलरी ब्रिगेड का हिस्सा थे।
इन शहरों का भी करेंगे दौरा
ब्रिगेड ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 23 सितंबर 1918 में हाइफा शहर पर हमला किया था और उसे जीत लिया था। प्रथम विश्व युद्ध में शहर की आजादी के लिए 44 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राण का बलिदान दिया था। आज तक, 61वीं कैवलरी ब्रिगेड 23 सितंबर को स्थापना दिवस या ‘हाइफा दिवस’ मनाती है।
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गौरतलब है कि नेतन्याहू से पहले 2003 में एरियल शेरॉन भारत यात्रा पर आए थे। एक बयान के अनुसार अपनी भारत यात्रा के दौरान नेतान्याहू दिल्ली, आगरा, गुजरात और मुंबई जाएंगे। उनकी यात्रा के अधिकांश हिस्से में मोदी उनके साथ होंगे। वह राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ भी बैठक करेंगे।
मैं भारत की ऐतिहासिक यात्रा पर जा रहा हूं- नेतन्याहू
भारत आने से पहले नेतान्याहू ने कहा, ‘‘मैं भारत की ऐतिहासिक यात्रा पर जा रहा हूं। मैं वहां प्रधानमंत्री से मिलूंगा, मेरे मित्र नरेंद्र मोदी से। भारत के राष्ट्रपति और कई अन्य नेताओं के साथ भी मुलाकात करूंगा। हम कई करारों पर दस्तखत करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इस्राइल और दुनिया की इस महत्वपूर्ण ताकत के साथ संबंधों को मजबूत करेंगे। यह हमारे सुरक्षा, आर्थिक, व्यापार और पर्यटन क्षेत्रों के हित में है। इसके अलावा कई अन्य क्षेत्रों को भी फायदा होगा। यह इस्राइल के लिए एक बड़ा वरदान होगा।’’
(साभार- जनसत्ता)