कुरान और संविधान की मूल भावना के विपरीत बना कानून मंजूर नहीं करेंगे’
संसद में तीन तलाक विरोधी विधेयक पेश होने से रोकने की ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की अपील के बीच मुस्लिम महिला संगठनों ने कहा है कि अगर यह विधेयक कुरान की रोशनी और संविधान के दस्तूर पर आधारित नहीं होगा तो इसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऑल इंडिया वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने बुधवार को कहा कि निकाह एक अनुबंध है और जो भी इसे तोड़े, उसे सजा दी जानी चाहिए।
तलाकशुदा महिलाओं पर काम कर रहीं संस्थाओं से चर्चा की जाए
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाया जाने वाला कानून अगर कुरान की रोशनी और संविधान के दस्तूर के मुताबिक नहीं होगा तो देश की कोई भी मुस्लिम औरत उसे कुबूल नहीं करेगी।शाइस्ता ने कहा कि उन्होंने विधि आयोग को एक पत्र लिखकर गुजारिश की थी कि आयोग जो विधेयक संसद में भेजना चाहता है, उस पर एक बार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, ऑल इंडिया मुस्लिम विमिन पर्सनल लॉ बोर्ड, जमात-ए-इस्लामी, जमीयत उलमा-ए-हिंद और तलाकशुदा महिलाओं पर काम कर रहीं संस्थाओं से चर्चा की जाए।
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उन्होंने कहा कि इस पर जवाब मिला था कि अगर जरूरत पड़ेगी तो इन सभी को बुलाकर चर्चा की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रस्तावित विधेयक को रुकवाने की एआईएमपीएलबी की कोशिशों को देर से की गई कवायद करार देते हुए उन्होंने मौजूदा हालात के लिए बोर्ड को कुसूरवार ठहराया। उन्होंने कहा कि मोहम्मद साहब और उसके बाद खलीफाओं के जमाने को छोड़कर अब तक हुए तलाक के ज्यादातर मामले कुरान की सूर-ए-तलाक के हिसाब से नहीं हुए हैं, उन्हें जायज मान लिया गया है।
गुरुवार को संसद में पेश किए जाने की संभवना है
उन्होंने कहा कि इस मामले में एआईएमपीएलबी ने अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई? गौरतलब है कि एआईएमपीएलबी ने तीन तलाक को लेकर केंद्र के प्रस्तावित विधेयक को संविधान, शरीयत और महिला अधिकारों के खिलाफ करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने इस सिलसिले में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था। बहरहाल, इस विधेयक को गुरुवार को संसद में पेश किए जाने की संभवना है।
(साभार-एनबीटी)