यूपी के मदरसे में चल रहा धडल्ले से गोल माल

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यूपी के बस्ती जिले के परशुरामपुर थाना एरिया के नंदनगर मे एक मदरसे का गडबडझाला सामने आया है। यह मदरसा कई सील फर्जी तरिके से मान्यता लेकर हर साल करोडो का अनुदान भी ले रही है। यह खुलासा तब हुआ जब एक शख्स ने जनसूचना के माध्यम से जानकारी मांगी तो मदरसे का फर्जीवाडा सामने आ गया। इतना ही नही यूपी सरकार के मानको पर भी यह मदरसा खरा नही उतरता जिस वजह से यूपी सरकार के पोर्टल पर नंदनगर के दारुल उलुम एहले सुन्नत बदरुल उलुम की नाम भी नही दर्ज किया गया है। जिला अल्प संख्यक अधिकारी की मिलीभगत से मदरसे के शिछको को वेतन भी दिया जा रहा है। 1996 मे इस मदरसे को फर्जी मान्यता मिली थी तब से यह अनुदान भी ले रहा है।

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37 लाख जुर्माने की आदेश जारी

आईटीआई कार्यकर्ता इरफान रजा ने जनसूचना से जानकारी इकट्ठा करना शुरु कर दिया। मांगी गई सूचना मे पता चला कि मदरसा पुरी तरह से फर्जी है। क्यो कि किसी भी मदरसे को मान्यता तभी दी जा सकती है जब मदरसे के नाम निजी जमीन हो, जो कि सेवा नियमावली के हिसाब से सारे नियमो को भी पुरा करता है। लेकिन इस मदरसे के नाम कोई भी जमीन रजिस्ट्री नही हुई है तो यहां सबसे बडा सवाल यही है कि मदरसे को मान्यता कैसे मिल गई, इतना ही नही यह मदरसा अनुदानित भी है। जिसको खाली कराने के लिये माननीय हाई कोर्ट ने डीएम को निर्देशित भी किया है। इस फर्जी मदरसे के प्रबंधक पर तहसीलदार हरैया ने कार्यवाही करते हुये 37 लाख 52 हजार जुर्माने की आदेश भी जारी किया है।

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प्रधानाचार्य हसमत अली प्रमाण पत्र फर्जी निकला

जिसकी अब तक रिकवरी नही की जा सकी है, मदरसे मे पढा रहे शिछक मो. आदिल, मो. फारुख और cअहमद की नियुक्ति भी फर्जी निकल चुकी है और कोर्ट के आदेश पर बस्ती के परशुरामपुर थाना मे 419,420 की एफआईआर भी दर्ज किया जा चुका है। तो और कार्यवाहक प्रधानाचार्य हसमत अली का अनुभव प्रमाण पत्र भी फर्जी निकला है, जिसको फर्जी तरिके से अल्प संख्यक अधिकारी से मिलकर हसमत अली ने तैयार कराया था। इसके बाद भी वे अपने पद पर बने हुये है। अफसरो ने फर्जी तरिके से हाउस रेंट और चार शिछको की वेतन रोकने का आदेश भी दिया मगर वे आज भी वेतन का लाभ उठा रहे हैं। बावजूद इसके मैनेजमेंट ने कोई कार्यवाही नही की और कोर्ट के आदेश के बाद भी मदरसा खाली तक नही किया गया। जानकारी के मुताबिक यह मदरसा सरकारी जमीन पर फिजी तरिका संचालित हो रहा और प्रशासन अभी भी हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है।

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