किराए का दें सबूत, वरना नहीं मिलेगी टैक्स में छूट

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आप एक करदाता हैं और किराये के घर में रहते हैं तो आपको टैक्स बचाने के रेंट स्लिप दिखानीं होगी। हाल ही में मुंबई इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) ने एक कर दाता को टैक्स में छूट देने से मना कर दिया। मुंबई की वह कर दाता अपनी मां को कैश में घर का रेंट देती हैं, लेकिन वह इसके पुख्ता सबूत नहीं दे पाईं।

एक दूसरे मामले में अहमदाबाद आईटीएटी ने एक कर दाता के एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस) को मंजूरी दे दी। जबकि वह अपनी पत्नी को घर का किराया देता था। टैक्स बचाने के लिए सैलरी पाने वालों के लिए सीमित रास्ते हैं। इसलिए वह एचआरए का पूरा लाभ उठाते हैं। वह टैक्स में छूट पाने के लिए यह दिखाते हैं कि वह परिवार के किसी सदस्य के साथ किराये पर रहते हैं और रेंट देते हैं।

कई जगह ऐसा है भी कि लोग अपने किसी रिश्तेदार के यहां किराये पर रह रहे हैं और रेंट की असली स्लिप लगाते हैं।किसी भी रिश्तेदार को रेंट देना अवैध नहीं है, लेकिन अगर इनकम टैक्स के अधिकारियों ने रेंट स्लिप की जांच की और इसके पुख्ता सबूत नहीं मिले तो फिर आपके दावे को प्रमाण के साथ खारिज कर दिया जाएगा। इसलिए रिश्तेदार को रेंट देने पर सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। अगर आप किसी रिश्तेदार के यहां रहते हैं और एक कर दाता हैं तो एक रेंट एग्रीमेंट बनवा लीजिए और अपने खाते से ही रिश्तेदार के खाते में रेंट ट्रांसफर कीजिए। आईटी एक्ट के सेक्शन 10(13ए) के मुताबिक कोई एचआरए तभी क्लेम कर सकता है जब प्रॉपर्टी उसके नाम पर न हो और सही में वह उसका रेंट दे रहा हो।

एक्सपर्ट बताते हैं कि माता-पिता या पत्नी को रेंट दिया जा सकता है। इससे करदाता की पात्रता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर इसके लिए करदाता एचआरए क्लेम करने के नियमों को पूरा करता हो। ऐसा ही अहमदाबाद में एचआरए क्लेम करने के मामले में हुआ। बजरंग प्रसाद के एचआरए के क्लेम को खारिज नहीं किया। जबकि वह अपनी पत्नी को घर का किराया देता है। इस पर आईटीएटी ने कहा कि कर दाता दो पात्रताएं पूरी करता है एक तो घर उसके नाम पर नहीं है और दूसरा वह हर महीने अपने बैंक खाते से अपनी पत्नी के खाते में घर का रेंट ट्रांसफर करता था।

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