हाफिज सईद ने किया जुबानी हमला बोले- पूर्वी पाकिस्तान का बदला कश्मीर से लेगें
मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जम कर जहर उगला। उसने कहा, माशरगी पाकिस्तान (पूर्वी पाकिस्तान) का बदला लेना है तो, कश्मीर से इंतकाम का रास्ता बन रहा है, निकल रहा है, चल रहा है और इंशाअल्लाह ये तहरीक जारी है। इसने बहुत आगे जाना है। पूर्वी पाकिस्तान अब बांग्लादेश है।
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…तो इसलिए जहर उगला हाफिज सईद ने !
16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के करीब 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। भारत की जीत के साथ बांग्लादेश का जन्म हुआ था। व्हाइट नाइट कोर के जनरल-ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल शरणजीत सिंह ने कहा कि भारतीय सेना हमेशा बहादुरी दिखाती रही है और उसने अनुकरणीय रूप से देश के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना किया है। व्हाइट नाइट कोर को 16 कोर के नाम से भी जाना जाता है। एक जून, 1972 को नगरोटा में तवी नदी के किनारे इसकी स्थापना की गयी थी।
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आमिर अब्दुल्ला खान ने पराजय स्वीकार की
आज ही के दिन पूर्वी मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना के चीफ जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने पराजय स्वीकार करते हुए 93 हजार पाक सैनिकों के साथ भारतीय सेना के समक्ष ढाका में सरेंडर किया। पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली राष्ट्रवादी आत्म निर्णय की लंबे समय से मांग कर रहे थे। 1970 के पाकिस्तानी आम चुनावों के बाद ये संघर्ष बढ़ा। नतीजतन 25 मार्च, 1971 को पश्चिमी पाकिस्तान ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया। इससे पूर्वी पाकिस्तान में इस तरह की मांग करने वालों को निशाना बनाया जाने लगा। पूर्वी पाकिस्तान में विरोध भड़का और बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी नामक सशस्त्र बल बनाकर ये लोग पाकिस्तान की सेना से मोर्चा लेने लगे। इस क्रम में भारत ने बांग्लादेशी राष्ट्रवादियों को कूटनीतिक, आर्थिक ओर सैन्य सहयोग दिया।
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13 दिनों में ही किए दुश्मनों के दांत खट्टे
नाराज पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए हवाई हमला कर दिया। पाकिस्तान ने ऑपरेशन चंगेज खान के नाम से भारत के 11 एयरेबसों पर हमला कर दिया। 3 दिसंबर, 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया। भारत ने पश्चिमी सीमा पर मोर्चा खोलते हुए पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी का साथ दिया। 13 दिनों में ही दुश्मन के दांत खट्टे हो गए और उसे सरेंडर के लिए मजबूर होना पड़ा। इस युद्ध ने दक्षिण एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया और 7वीं सबसे बड़ी आबादी वाले मुल्क के रूप में बांग्लादेश दुनिया के नक्शे पर आया। 1972 में संयुक्त राष्ट्र के अधिकतर सदस्य देशों ने बांग्लादेश को राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी।