आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ : अमेरिका

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अमेरिका ने बुधवार को कहा कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ कंधे के साथ कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा और आतंकवाद के सुरक्षित पनाहगाहों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका एक अग्रणी शक्ति के रूप में उभरते भारत का समर्थन करता है और भारत के सैन्य आधुनिकीकरण के लिए उसे उन्नत प्रौद्योगिकी देने को तैयार है।

दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग जारी रखेंगे

टिलरसन ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त में दक्षिण एशिया के लिए एक नई नीति की घोषणा की थी, जो अफगानिस्तान के प्रति और इसके साथ ही दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता दोहराती है।

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उन्होंने कहा, “इस प्रयास में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा। आतंकवाद के पनाहगाहों को बर्दाश्त नहीं किया जाएग।”

क्षेत्र में सुरक्षा के लिए भारतीय क्षमताओं में योगदान देते रहेंगे

उन्होंने कहा, “इसके मद्देनजर हम भारत के सैन्य आधुनिकीकरण के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियां उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं। इसमें एफ-16 और एफ-18 लड़ाकू विमानों के लिए अमेरिकी उद्योग की ओर से महत्वकांक्षी प्रस्ताव शामिल हैं।”टिलरसन ने पिछले महीने अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस की भारत का यात्रा का भी जिक्र किया।उन्होंने कहा, “वह (मैटिस) और मैं अगले साल की शुरुआत में होने वाली टू-प्लस-टू वार्ता के लिए उत्सुक हैं।”

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उन्होंने कहा, “हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं क्योंकि हम दोनों ही वाणिज्य में नियम आधारित रुख और आर्थिक विकास के लिए पारदर्शी और सतत नजरिए को बढ़ावा देते हैं। हम इस प्रयास में अपने करीबी सहयोगी जापान का साथ पाकर खुश हैं। तीनों देशों की सेनाएं हिंद महासागर क्षेत्र में वार्षिक मालाबार अभ्यास में भाग लेती हैं, चीन जिसे संदेह भरी नजर से देखता है।”

टिलरसन ने साथ ही कहा कि भारत अफगास्तिान के विकास में भारत के योगदान को तहेदिल से मानता है।टिलरसन ने कहा कि दोनों देशों का 70 साल से भी ज्यादा समय से करीबी संबंध रहा है।उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों के अनुसार हम स्वाभाविक साझेदार हैं। हम उनकी दोस्ती और भारत-अमेरिका के करीबी रिश्ते के उनके दृष्टिकोण के आभारी हैं। निसंदेह हमारा भी यही दृष्टिकोण है।”

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