2000 किसानों ने राष्ट्रपति से क्यों मांगी इच्छामृत्यु?
भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है। वहीं मेहनत कर फसल को उगाने वाले किसानों की एक बड़ी तादाद आत्महत्या करने को विवश है। लेकिन सालों से लगातार गहराती इस समस्या की गंभीरता को समझने की कोशिश नहीं हो रही है। किसानों के लिए बनाए जाने वाले हर नियम उनके खिलाफ होते जा रहे हैं। दु:ख की बात ये है कि कर्ज और तमाम तरह की परेशानियों से आहत होकर यही अन्नदाता इच्छामृत्यु की मांग कर रहे हैं। यूपी में सरकार की वादाखिलाफी से तंग आकर लगभग दो हजार किसानों ने जान देने की इच्छा जताई है।
ग्रामीणों ने लिया फैसला
दरअसल मेरठ और गंगानगर इलाके में स्थानीय प्रशासन ने किसानों को राहत देने के लिए जो योजनाएं बनाई थीं, उनका सही तरीके से पालन नहीं किया गया। ऐसे में किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। समस्या से निजात पाने के लिए किसानों ने पंचायत स्तर पर एक अहम बैठक की, जिसमें कोई नतीजा नहीं निकला। अंत में ग्रामीणों ने फैसला लिया कि वे तीन दिन के भीतर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश को दो हजार पत्र भेजकर इच्छामृत्यु की मांग करेंगे, ताकि सभी सामूहिक रूप से अपनी जान दे सकें।
नहीं मिल रहा मुआवजा
लोहियानगर में किसानों ने कुछ दिन पहले मुआवजे के मसले पर एमडीए के फ्लैटों का काम रुकवा दिया था। एमडीए ने इसकी सूचना पुलिस को दी, लेकिन मौके पर किसानों के आक्रोश को देखते हुए पुलिस वापस लौट गई। रविवार को कसेरूबक्सर गंगानगर स्थित तिलकपुरम पार्क में हुई बैठक में गंगानगर, लोहियानगर तथा वेदव्यास पुरी के काफी किसानों ने भाग लिया।
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