नीति आयोग के सदस्यों के विचार सहकारी संघवाद के खिलाफ : स्टालिन
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के कार्यकारी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीति आयोग के सदस्यों के सरकार क सहकारी संघीय संरचना को नुकसान पहुंचाने वाले बयान पर लगाम लगाना चाहिए। यहां जारी एक बयान में स्टालिन ने मोदी से नीति आयोग के सदस्यों और उपाध्यक्ष की ओर से सरकार और समाजिक न्याय की सहकारी संघवाद संरचना में हस्तक्षेप जैसे बयानों पर लगाम लगाने का आग्रह किया।
स्टालिन ने यह भी कहा कि अगर नीति आयोग का प्रयोग शक्ति को केंद्रीकृत करने और राज्यों की शक्ति कम करने के लिए किया जाएगा तो, फिर इसकी संचालन परिषद में मुख्यमंत्रियों के रहने का कोई मतलब नहीं है।
स्टालिन नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद के कृषि पर आए बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। रमेश चंद ने कहा था कि कृषि को राज्य की सूची से बाहर कर केंद्र की सूची में डालना चाहिए।स्टालिन ने कहा कि मोदी सरकार ने 65 वर्ष पुराने योजना आयोग को समाप्त करते हुए सहकारी संघवाद का नारा दिया था।
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उन्होंने कहा कि जब किसानों के ऋण और उनके आत्महत्या की बात आती है तो केंद्र सरकार अपना पल्ला झाड़ लेती है और अब सरकार कृषि क्षेत्र को केंद्र सूची में डालना चाहती है। स्टालिन ने कहा कि नीति आयोग का यह दृष्टिकोण, जिसमें निजी क्षेत्र के रोजगार में आरक्षण की जरूरत को महत्व नहीं दिया गया है, केंद्र सरकार की शक्तियों में हस्तक्षेप है।