‘दादी की रसोई’ में 5 रुपये में मिल रहा भर पेट भोजन

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आप सुनकर चौंक गए न। जहां महंगाई की मार से आम जनता की कमर टूटी जा रही है, वहां अगर कोई पांच रूपए में भर पेट खाना खिलाने की बात करे तो यकीन कैसे होगा। लेकिन यह सच है। इस महंगाई में गरीबों का मसीहा बनकर आए हैं प्रसिद्ध समाजसेवी अनूप खन्ना। नोएडा के इस समाजसेवी ने महज पांच रूपए में बीड़ा उठाया है गरीबों को भर पेट खाना खिलाने का। मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता अनूप खन्ना ने अपनी मां कहने पर लगभग एक साल पहले ‘दादी की रसोई’ शुरू की थी।

स्वाभिमान के साथ कराते हैं भोजन

नोएडा सैक्टर 29 स्थित गंगा शॉपिंग कॉपलेक्स में खुली इस रसोई में अमीर-गरीब, भिखारी व मध्यम वर्ग तक के लोग मात्र पांच रुपये देकर स्वाभिमान के साथ भोजन कर रहे हैं।  जर्नलिस्ट कैफे से बातचीत में अनूप खन्ना ने कहा कि अगर कोई किसी को मुफ्त में भोजन करा दे तो वह नेक काम करता है, लेकिन इसमें मुफ्त भोजन करने वालों का स्वाभिमान मर जाता है। इसी वजह से हम पांच रुपये लेते हैं, ताकि भोजन करने वाला स्वाभिमान के साथ भोजन करे।

रोजाना 500 लोग करते हैं भोजन

दादी की रसोई रोजाना दोपहर 12 बजे से दो बजे तक संचालित होती है, जिसमें 500 से ज्यादे  लोग रोजाना भोजन करते हैं। ऐसा नहीं है कि यहां सिर्फ गरीब लोग ही भोजन करते हैं,

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जर्नलिस्ट कैफे की टीम ने जब यहां का दौरा किया तो देखा कि इस रसोई में भिखारी, गरीब, अमीर व मध्यम वर्ग तक के सभी लोग इज्जत के साथ भोजन करके जाते हैं।

पांच रुपये में देसी घी का तड़का

आप यह जानकर दंग रह जाएंगे कि यहां पांच रुपये में बासमती चावल, देसी घी का तड़का लगी दाल, अचार, मिक्स वेज, तो कभी पूड़ी-सब्जी, छोले-भटूरे व देसी घी का बना सूजी का हलवा, छेना, गुलाब जामुन आदि भी मिलती है। इसके साथ ही भोजन करने वालों को लिए आरो का पानी भी उपलब्ध है।

स्वच्छता का संदेश

दादी की रसोई में शुद्ध भोजन के साथ-साथ स्वच्छता का भी विशेष ध्यान दिया जाता है। दोपहर 12 से दो बजे तक लगभग 500 से भी ज्यादे लोग भोजन करते हैं, फिर भी वहां गंदगी दिखाई नहीं देती। जर्नलिस्ट कैफे से बातचीत में अनूप खन्ना ने बताया कि हम लोग स्वच्छता को लेकर लोगों को जागरूक करते रहते हैं। जो भी यहां भोजन करने आता है उनसे हम थाली को कूड़ेदान में डालने की गुजारिश करते हैं। जिसे लोग फॉलो भी करते हैं।

मां के कहने पर की शुरुआत

अनूप खन्ना ने बताया कि एक दिन उनकी मां ने उनसे कहा कि शहर में कई ऐसे गरीब हैं जिन्हें हर रोज भोजन नहीं मिल पाता और उन्हें भूखे ही रहना पड़ता है।

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मां ने कहा कि क्या तुम मेरे लिए अपने कमाई से कुछ पैसा गरीबों के लिए खर्च कर सकते हो? उसी दिन से अनूप खन्ना ने मां से प्रेरणा लेकर ‘दादी की रसोई’ कि शुरुआत की। अब उनकी मां को अपने बेटे पर गर्व होता है।

अखिलेश की योजना को भी दे रही मात

मर्इ-डे यानी मजदूर दिवस के मौके पर हर प्रदेश सरकार अपने मजदूरों के लिए कोर्इ न कोर्इ व्यवस्था या घोषणा करती है। इस बार मजदूर दिवस के मौके पर यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने 10 रुपए में भोजन की व्यवस्था की घोषणा की है, जबकि ‘दादी की रसोई’ मात्र पांच रुपये में ही लोगों को भोजन करा रही है।

मुलायम भी मुरीद

सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भी ‘दादी की रसोई’ की विशेषता जानने के बाद दिल्ली स्थित अपने आवास पर सामाजिक कार्यकर्ता अनूप खन्ना को बुलाकर जमकर तारीफ की।

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इनके अलावा नोएडा के बड़े-बड़े अधिकारी भी ‘दादी की रसोई’ पर दस्तक देते रहते हैं।

सामाजिक कार्यों में रहते हैं आगे

सामाजिक कार्यकर्ता अनूप खन्ना दादी की रसोई के अलावा कई सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। उत्तराखंड में जब त्रासदी आई थी तो अनूप खन्ना अपने टीम के साथ तीसरे दिन ही वहां पहुंच गए थे। इसके अलावा देश में कहीं पर भी प्राकृतिक आपदा आने पर इनकी टीम सबसे पहले पहुंचती है और पीड़ितों का दर्द कम करने में हरसंभव मदद करती है।

 

 

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