.. लेकिन पढ़ाई के आड़े नहीं आते आंसू
पढने की कोई उम्र नहीं होती और इसके साथ अगर जुनून भी शमिल हो जाये तो फिर क्या कहने है। यह बात सीखनी है तो किताबो से बेहतर मिसाल और कुछ नहीं। हरियाणा के छोटे से गांव पिंडारा में रहने वाली 65 साल की किताबो ने हाल ही में के तहत परीक्षा दी है।
दिहाड़ी मजदूरी कर गुजारा भी कर रही हैं
इस उम्र में वह पढ़ भी रही हैं और दिहाड़ी मजदूरी कर गुजारा भी कर रही हैं। हर दिन स्कूल जाने के लिए उन्हें दिहाड़ी में एक घंटे की कटौती करनी पड़ती है। किताबो की कहानी जज्बातों से भरी एक प्रेरक किताब है। इस उम्र में पढ़ाई करने के पीछे कोई शौक नहीं, बल्कि एक जज्बा काम कर रहा है। दरअसल, किताबो का बेटा-बेटी चाहते थे कि उनकी मां थोड़ा बहुत पढ़ना-लिखना सीखे। वे उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाते भी थे, लेकिन किताबो रुचि नहीं लेती थीं। कह देती थीं कि अब इस उम्र में पढ़ लिख कर क्या करूंगी। कुछ समय पहले दोनों की मौत हो गई।
गांव की महिलाओं ने स्कूल में आकर पढ़ना सीखा है
गांव की महिलाओं ने स्कूल में आकर पढ़ना सीखा है। इन को घरों और खेतों में काम भी करना पड़ता है, इसलिए नियमित रूप से नहीं आ पाती। ऐसे में इन महिलाओं को लगातार प्रोत्साहित किया जाता है कि हर रोज आधा या एक घंटा पढ़ाई के लिए जरूर निकालें। सुषमा सिंधवानी राजकीय हाई स्कूल प्रिंसिपल है। सरोज बालापिंडारा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों ने बताया कि पढ़ाई करते हुए किताबो की आंखें अक्सर नम हो जाती हैं। बेटे सुनील और बेटी सोनिया को याद कर वे रो पड़ती हैं। सुनील और सोनिया भी इसी स्कूल में पढ़े थे।
मुझे कभी पढ़ने के लिए रोकते-टोकते नहीं हैं…
सुनील ने एमकॉम किया था और बेटी सोनिया 12वीं पास थी। वे हमेशा कहा करते थे कि मां आने वाले समय में पढ़ने-लिखने वालों की ही पूछ होगी। अब छोटा लड़का ही साथ है, जिसे किताबो और उनका पति दिहाड़ी मजदूरी करके पढ़ा रहे हैं।किताबो ने बताया कि पति महाबीर का उनको पूरा सहयोग मिलता है। वह भले ही थोड़ा बहुत पढ़ना जानते हों, लेकिन मुझे कभी पढ़ने के लिए रोकते-टोकते नहीं हैं। उनका मानना है कि कई बार सफर के दौरान बस स्टैंड या फिर रेलवे स्टेशन पर जाते हैं तो उन्हें लोगों से पूछकर ही बस या रेल में बैठना पड़ता है। अब अक्षरों का ज्ञान हो जाएगा, फिर दिक्कत नहीं होगी। कई बार पैसों के लेन-देन में भी दिक्कत होती है। पढ़ाई के बाद यह समस्या भी दूर हो जाएगी।
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