ब्लड क्लॉट से ग्रसित हुए विनोद कांबली, जानें क्या है ये बीमारी और उससे बचाव के तरीके ?

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पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली को हाल ही में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उनके ब्रेन में ब्लड क्लॉट की समस्या हो गई है. इस समय उनका इलाज चल रहा है. वहीं उनके डॉक्टर विवेक त्रिवेदी के अनुसार ब्रेन में क्लॉट होने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है. अगर समय पर इलाज नहीं मिल पाता, तो यह जानलेवा हो सकता है. आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया में स्ट्रोक मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है, जबकि भारत में कुल मौतों में से आठ प्रतिशत स्ट्रोक के कारण होते हैं. भारतीय स्ट्रोक एसोसिएशन के अनुसार हर साल करीब 12 से 13 लाख लोग भारत में स्ट्रोक का शिकार होते हैं.

ब्लड क्लॉट की तरह ही एक और खतरनाक बीमारी है, जिसे ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. इस बीमारी के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. द लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल ब्रेन ट्यूमर के 28,000 से ज्यादा मामले सामने आते हैं. दोनों ही बीमारियां जानलेवा हो सकती हैं, लेकिन इन दोनों के बीच एक बड़ा फर्क होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि ब्लड क्लॉट क्या होता है और ब्रेन ट्यूमर और ब्लड स्टोक में क्या अंतर है ?

ब्लड क्लॉट क्या होता है?

ब्लड क्लॉट जिसे हिंदी में रक्त थक्का कहा जाता है, तब बनता है जब खून का प्रवाह किसी कारणवश रुक जाता है और खून जमने लगता है. यह आमतौर पर चोट लगने पर शरीर के घावों को भरने में मदद करता है, लेकिन जब यह शरीर के अंदर किसी रक्त वाहिका में बिना कारण जमा हो जाता है, तो यह घातक हो सकता है. ब्लड क्लॉट शरीर के किसी भी हिस्से में बन सकता है, लेकिन जब यह मस्तिष्क में बनता है, तो इसे ब्रेन क्लॉट या ‘स्ट्रोक’ का खतरा हो सकता है. इस स्थिति में मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है, जिससे मस्तिष्क में क्षति हो सकती है.

ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन क्लॉट में अंतर …

ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन क्लॉट दोनों ही दिमाग से जुड़ी गंभीर समस्याएं हैं, लेकिन ये एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होते हैं. ब्रेन ट्यूमर तब होता है जब दिमाग में असामान्य कोशिकाएं जमा होने लगती हैं और एक गांठ या ट्यूमर का रूप ले लेती हैं. यह ट्यूमर मस्तिष्क के अंदर दबाव डालता है, जिससे सिरदर्द, चक्कर आना, मिचली, याददाश्त में कमी और मानसिक स्थिति में बदलाव जैसे लक्षण हो सकते हैं. ब्रेन ट्यूमर का इलाज ऑपरेशन, रेडिएशन या कीमोथेरेपी से किया जाता है, जो ट्यूमर की स्थिति पर निर्भर करता है.

वहीं, ब्रेन क्लॉट तब होता है जब दिमाग में खून का थक्का बन जाता है. यह खून के प्रवाह को रोकता है और ब्रेन सेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके कारण स्ट्रोक भी हो सकता है. ब्रेन क्लॉट के लक्षणों में चेहरे का झुकना, हाथ-पैर में कमजोरी, बोलने में दिक्कत और चक्कर आना शामिल हैं. इसका इलाज दवाओं से या सर्जरी से किया जाता है, ताकि क्लॉट हटाया जा सके. ऐसे में इन दोनों में मुख्य अंतर यह है कि, ब्रेन ट्यूमर असामान्य कोशिकाओं से बनता है, जबकि ब्रेन क्लॉट खून के थक्के से होता है.

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ब्रेन ट्यूमर और स्ट्रोक से बचाव कैसे करें

-ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं
-रोज एक्सरसाइज करें
-धूम्रपान न करें
-अल्कोहल का सेवन कम करें
-ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें
-सिरदर्द लगातार रहता है तो इलाज कराएं

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