वाराणसी में बैंबू चारकोल बनाने में जापान करेगा सहयोग, किसानी संग शुद्ध पानी भी मिलेगा
वाराणसी: वन विभाग ने जापान की दो कंपनियों के सहयोग से वाराणसी के तीन गांवों में बैंबू चारकोल बनाने का काम शुरू किया है. चारकोल के प्रयोग से स्थानीय किसानों को कृषि उपज बढ़ने के साथ ही शुद्ध पानी भी उपलब्धप होगा. इसको लेकर चार साल के लिए भारत और जापान सरकार में समझौता हुआ है. यह काम भारत में पहली बार वन आधारित गंगा अनुकूल आजीविका परियोजना के तहत हो रहा है. जिले के रमना, चांदपुर और मुस्तफाबाद में चार साल तक यह काम किया जाना है. जापान की कंपनी ओइस्का इंटरनेशनल और जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी इसके लिए काम कर रही हैं. जापानी दूतावास ने भी बीते दिनों भारत और जापान के आपसी संबंधों की बात कही थी.
Champion Trophy 2025: इस दिन होगी भारत- पाकिस्तान की भिड़ंत, UAE में होगा मुकाबला…
गंगा किनारे बांस का होगा प्रभावी उपयोग
परियोजना इंचार्ज रणजीत सिंह चौहान ने बताया कि नदी पर्यावरण के अनुकूल प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर रोजगार दिलाने की पहल की गई है. साथ ही किसानों की फसलों के विपणन का उपयोग करने वाली कृषि प्रौद्योगिकी की भी शुरुआत हुई. गंगा के किनारे रहने वाले लोग बांस का प्रभावी उपयोग कर सकते हैं. बांस के चारकोल पर्यावरण के अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने में भी सहायक होंगे.
जापान के कृषि विशेषज्ञ अकियो चिकुडा ने किसानों को बताया कि अच्छी मिट्टी लिए शारीरिक, रासायनिक और जैविक संतुलन बहुत जरूरी है. अच्छी मिट्टी बनाए रखने के लिए बांस का कोयला प्रभावी है. इसके इस्तेमाल से रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होगी, मिट्टी के पोषक तत्व बने रहेंगे.
धर्म को समझना होगा…अधूरा ज्ञान अधर्म को जन्म देगाः मोहन भागवत
क्या है बैंबू चारकोल
ब्लैक डायमंड के नाम से मशहूर बांस से बनने वाला चारकोल पानी को साफ करने के साथ-साथ चेहरे के लिए भी फायदेमंद होता है. यह हवा में घुले प्रदूषित तत्वों को चेहरे पर टिकने नहीं देता. साथ ही भीषण गर्मी में भी इसकी परत त्वचा का बचाव करती है. बांस चारकोल प्राकृतिक रूप से कैल्शियम, मैग्नीशियम, एसीडिक एसिड, हाइड्रॉक्सिल बैंजीन आदि से युक्त होता है. रमना, चांदपुर और मुस्तफाबाद में किसानों को जापान की दोनों कंपनियां बैंबू चारकोल बनाकर देंगी. किसान इसे खेतों में डालेंगे और पानी साफ करने में इसका प्रयोग करेंगे.