वाराणसी: बीएचयू की नियुक्तियों में अनियमितताएं और जातिगत भेदभाव का आरोप, निष्पक्ष जांच की मांग

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वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सुंदर लाल चिकित्सालय के प्रोफेसर ओम शंकर का आरोप है कि बीएचयू में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है. पेड़ों की कटाई, भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता, अस्पताल में भ्रष्टाचार पांव पसारे हुए है. शुक्रवार को उन्होंने मीडिया से कहा कि बीएचयू के वर्तमान कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन के कार्यकाल में नियुक्तियों में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं. इन अनियमितताओं ने न केवल यूजीसी के मानकों और कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया है, बल्कि जातिगत भेदभाव और पक्षपात की एक व्यवस्थित प्रणाली को भी उजागर किया है.

मनमानी और गैरकानूनी नियुक्तियां

कुलपति ने बीएचयू अधिनियम के क्लॉज 7(c)5 के तहत आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए नियमित और गैर-आपातकालीन नियुक्तियों को उचित ठहराया है. ये नियुक्तियां राष्ट्रपति (बीएचयू के विजिटर) के द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यम से जारी आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन करती हैं. इन आदेशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नियमित नियुक्तियों के लिए आपातकालीन शक्तियों का उपयोग नहीं किया जा सकता. इन निर्देशों को नजरअंदाज करते हुए, प्रो. जैन ने अपने करीबी लोगों को नियुक्त करने के लिए फर्जी आपात स्थिति का सहारा लिया.

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आरक्षण नियमों का उल्लंघन

कुलपति ने भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर को प्रदर्शित करने की अनिवार्यता का पालन नहीं किया, जो यूजीसी दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है. इस चूक ने अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के योग्य उम्मीदवारों को हाशिए पर डालने के लिए जातिगत भेदभाव को बढ़ावा दिया है. उनके विवादास्पद “नॉट फाउंड सूटेबल” (योग्य नहीं पाया गया) नीति का उपयोग विशेष रूप से वंचित वर्गों के उम्मीदवारों को अवसरों से वंचित करने के लिए किया गया है.

हृदय रोग विभाग में भेदभावपूर्ण व्यवहार

हृदय रोग विभाग में 75% से अधिक शिक्षकों के पद जानबूझकर खाली रखे गए हैं, जिससे मरीजों को महत्वपूर्ण सेवाओं से वंचित किया गया है और योग्य उम्मीदवारों के अवसरों को रोका गया है. कुलपति ने व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए भर्ती प्रक्रिया में हेरफेर करते हुए वैधानिक नियमों की अनदेखी की है.

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गैरकानूनी कार्रवाइयों का औचित्य

कुलपति ने कार्यकारी परिषद (Executive Council) की स्वीकृति की आवश्यकता को दरकिनार करने के लिए “आपातकालीन” प्रावधानों के तहत नियमित नियुक्तियों को उचित ठहराने के लिए फर्जी आपात स्थितियों का निर्माण किया है. ये कार्य बीएचयू के कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन हैं और संस्थान के प्रशासन को कमजोर करते हैं.

राष्ट्रपति से मांग

1. प्रो. जैन के कार्यकाल के दौरान की गई सभी नियुक्तियों की निष्पक्ष जांच.

2. यूजीसी और सरकारी दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदारी तय करना.

3. आरक्षण नीतियों का पालन सुनिश्चित करना ताकि समानता और योग्यता को प्राथमिकता दी जा सके.

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