अब ”ऑक्सीजन” की मदद से साइबर ठगों पर लगाम लगाएगी दिल्ली पुलिस, जानें कैसे ?

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कभी फिशिंग,स्मिशिंग, वॉयस फिशिंग और डिजिटल अरेस्ट और जानें किन – किन तरीकों से साइबर ठग इन दिनों साइबर ठगी को अंजाम देने का काम कर रहे हैं जिससे लोगों को भारी नुकसान के साथ मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है.वहीं अब साइबर ठगी पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली पुलिस ने नया तरीका इजाद किया है. जिसके जरिए वो साइबर ठगी के मामले पर लगाम लगाने का काम करेगी. इसके लिए दिल्ली पुलिस ने आस्ट्रेलिया और इजरायल से स्पेशल सॉफ्वेयर मंगवाया है, जिसकी मदद से साइबर अपराध पर लगाम लगाई जा सकेगी. ऐसे में क्या है वो तरीका औऱ कैसे करता है काम ? आइए जानते हैं…

प्राप्त जानकारी के अनुसार फिलहाल दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने इस तरीके यानी सॉफ्टवेयर का प्रयोग करने शुरू कर दिया है. इसको लेकर दिल्ली पुलिस ने बताया है कि, उन्होंने इजरायली कंपनी UFED और ऑस्ट्रेलिया से यह ऑक्सीजन नामक सॉफ्वेयर मंगाया है.

जानें कैसे काम करते हैं ऑक्सीन और UFED?

इजरायल का यह सॉफ्वेयर UFED हर प्रकार के वर्चुअल स्पेस पर विभिन्न तरीक साइबर अपराध पर नजर रखने का काम करता है. यह सॉफ्टवेयर अपराधियों द्वारा लगाए गए हर प्रकार के लॉक को तोड़ने में काम आएगी. साथ ही इसके माध्यम से ऑनलाइन छेड़छाड़ को भी ट्रैक किया जा सकेगा.

वहीं ऑस्टेलिया का ऑक्सीजन सॉफ्टवेयर की मदद से दिल्ली पुलिस मानक आधारित कम्युनिकेश सिस्टम की जांच कर रही है. साथ ही इसके इस्तेमाल से पुलिस एड्राइ़ड, विंडोज और आईओएस समेत सभी आपरेटिंग सिस्टम की आसानी से जांच कर पा रही है. इस सॉफ्टवेयर की लिस्ट में चीन का सुरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम चाइनेक्स भी आता है.

महिला और बच्चों के अपराध के इस सॉफ्टवेयर का हो रहा इस्तेमाल

इसके अलावा, देश में चाइल्ड पोर्नोग्राफी और महिला संबंधित साइबर अपराधों के मामलों पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली पुलिस एक खास सॉफ्वेयर का इस्तेमाल कर रही है. इसका नाम ICMIC है, जो एक स्पेशल सॉफ्टवेयर है. जिसको अमेरिका की लॉ एजेंसियों और एफबीआई ने मिलकर तैयार किया है,जिसके जरिए इन अपराधों को रोकने में काफी मदद मिलने वाली है.

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लाखों लोग हो रहे साइबर ठगी का शिकार

साथ ही, साइबर अपराधियों द्वारा लोगों को ठगने के नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिनमें डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं भी शामिल हैं. इसमें अपराधी भोले-भाले लोगों को गंभीर आरोपों का डर दिखाते हुए उन्हें धमकाते हैं और फिर उन्हें गिरफ्तार करने का भय पैदा करते हैं. इसके बाद, वे उन्हें खुद को कमरे में बंद करने के लिए कहते हैं और फिर वीडियो कॉल के माध्यम से फर्जी पूछताछ करते हैं.इस दौरान वे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि बैंक डिटेल्स, एक्सेस कर लेते हैं और बाद में उनके बैंक खातों से पैसे निकाल लेते हैं. यह एक प्रकार का साइबर ठगी है, जो दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और इससे बचने के लिए सावधानी बरतना बेहद आवश्यक है.

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