फडणवीस होगें CM! शिंदे डिप्टी के लिए तैयार, अमित शाह की बैठक से महाराष्ट्र सरकार की तस्वीर स्पष्ट
महाराष्ट्र में नई सरकार गठन को लेकर सस्पेंस बना हुआ है, 23 नवंबर को चुनाव परिणाम के बाद महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की और बीजेपी बहुमत के करीब पहुंची, लेकिन छह दिन बाद भी सरकार का गठन नहीं हो पाया है. 29 नवंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार से अलग-अलग बैठकें की, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे भी शामिल हुए. तीन घंटे तक चली इस कवायद के बावजूद मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो पाया है.
सीएम पद को लेकर फंसा पेंच
सूत्रों के अनुसार, अमित शाह की बैठक में एकनाथ शिंदे को स्पष्ट संकेत दिया गया कि मुख्यमंत्री पद देवेंद्र फडणवीस के पास रहेगा. हालांकि, शिंदे शुरू में डिप्टी सीएम पद के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन बाद में उनका रूख नरम हुआ. शिंदे गृह मंत्रालय अपने पास रखना चाहते हैं और इसके लिए वे भाजपा नेतृत्व से बातचीत कर रहे हैं. मुंबई में आज महायुति के तीनों नेताओं की बैठक होनी है और कल बीजेपी विधायकों की बैठक में विधायक दल का नेता चुने जाने की संभावना है. इन बैठकों के बाद दिल्ली में भी एक और महायुति बैठक प्रस्तावित है, जिससे यह साफ है कि सरकार गठन में और समय लग सकता है.
शिवसेना और अजित पवार की मंत्रालयों पर नजर
शिवसेना के वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि, एकनाथ शिंदे को भारी-भरकम विभाग दिए जाएं ताकि पार्टी को और मजबूत किया जा सके. उनका मानना है कि शिंदे की अनुपस्थिति से पार्टी के विधायकों को सरकार में अपनी हिस्सेदारी हासिल करने में कठिनाई हो सकती है. वहीं, अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद के साथ वित्त विभाग पर भी अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं. बीजेपी वित्त और योजना विभाग अपने पास रखना चाहती है. अजित पवार कृषि, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, महिला एवं बाल कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, खेल, ग्रामीण विकास, सहकारिता और विपणन मंत्रालयों को अपने पास रखना चाहते हैं.
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मंत्री पदों के बंटवारे का फॉर्मूला
सूत्रों के अनुसार, सरकार में विभागों के बंटवारे को लेकर एक फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक सहयोगी दल को उनकी हिस्सेदारी दी जाएगी. इस फॉर्मूले के तहत, बीजेपी को 21 से 22 मंत्री पद, शिवसेना शिंदे गुट को 10 से 12 मंत्रालय और अजित पवार की एनसीपी गुट को 8 से 9 मंत्रालय मिल सकते हैं.कुल मिलाकर महाराष्ट्र में मंत्री पदों की संख्या 43 से अधिक नहीं होनी चाहिए, जिसमें मुख्यमंत्री पद भी शामिल है.