आखिर क्यों पुरुष होते हैं गंजेपन के शिकार?
आजकल हम सभी खूबसूरत दिखने की चाहत रखते हैं और इसके लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल भी करते हैं. हालांकि चेहरे की देखभाल पर तो हम ध्यान देते हैं, लेकिन बालों की देखभाल अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं. आजकल बालों का स्वस्थ होना हमारी स्टाइल का अहम हिस्सा बन गया है, लेकिन एक रिसर्च के अनुसार, गंजेपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है और इसका मुख्य कारण खराब खानपान और जीवनशैली है. यह समस्या अब बच्चों में भी देखी जा रही है. हालांकि गंजापन आमतौर पर पुरुषों में ही अधिक होता है, महिलाओं में यह बहुत कम देखा जाता है और यदि होता है तो किसी बीमारी के कारण. आंकड़ों के अनुसार, पुरुषों में 40 की उम्र तक गंजापन आम बात बन जाती है. आइए जानते हैं कि आखिर पुरुष ही गंजेपन के शिकार क्यों होते हैं ?
पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन का प्रभाव
टेस्टोस्टेरॉन एक हार्मोन है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाया जाता है, लेकिन पुरुषों में इसकी मात्रा अधिक होती है. यह हार्मोन पुरुषों में शारीरिक बदलावों के लिए जिम्मेदार होता है. टेस्टोस्टेरॉन एक एंड्रोजन हार्मोन है, जो पुरुषों में बालों के झड़ने की समस्या पैदा करता है. शरीर में कुछ एंजाइम्स होते हैं, जो टेस्टोस्टेरॉन को डिहाइड्रो-टेस्टोस्टेरॉन (DHT) में बदल देते हैं. यही DHT हार्मोन बालों को कमजोर और पतला बना देता है. इस बदलाव के लिए जिम्मेदार एंजाइम्स आमतौर पर व्यक्ति के जीन से प्राप्त होते हैं, और इस कारण गंजापन आनुवांशिक भी हो सकता है.
पुरुषों में बालों के झड़ने का सबसे सामान्य कारण एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया, जिसे ‘पुरुष पैटर्न गंजापन’ भी कहा जाता है. यह समस्या डीहाइड्रोटेस्टोस्टेरॉन (DHT) हार्मोन के प्रभाव से होती है, जो खोपड़ी के सामने ऊपर और मुकुट क्षेत्र में बालों की पुटिकाओं पर प्रभाव डालता है.
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महिलाओं में टेस्टोस्टेरॉन
महिलाओं में भी टेस्टोस्टेरॉन पाया जाता है, लेकिन इसकी मात्रा बहुत कम होती है. जब टेस्टोस्टेरॉन का स्तर अधिक बढ़ता है तो महिलाओं में अनचाहे बालों की समस्या उत्पन्न होती है. महिलाओं के शरीर में मुख्य रूप से एस्ट्रोजन हार्मोन का स्राव होता है, जो टेस्टोस्टेरॉन को डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरॉन में बदलने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है. इस कारण महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या होती है, लेकिन गंजापन नहीं होता है. इस तरह, पुरुषों में गंजेपन के शिकार होने की मुख्य वजह टेस्टोस्टेरॉन और DHT हार्मोन के प्रभाव के कारण होती है, जबकि महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण यह समस्या बहुत कम होती है.