देवदीपावली आज, जानें काशी में ही क्यों मनाया जाता है यह त्यौहार ?
आज काशी में देव दीपावली मनाई जा रही है, यह पर्व कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन व्रत का पूजन का हिन्दू धर्म में काफी महत्व माना गया है. दीपावली के पश्चात बाबा की नगरी बनारस में देवदीपावली का त्यौहार काफी धूम धाम से मनाया जाता है, इस दिन बनारस के घाटों को लाखों दीयों से सजाया जाता है और इस अद्भुत दृश्य के साक्षी बनने के लिए दूर – दराज से लोग यहां पहुंचते है. हालांकि, आधुनिक दौर में कई राज्यों और शहरों देव दीपावली मनाने की शुरूआत की गयी है, जिसमें से अयोध्या भी एक है. लेकिन विशेष तौर पर यह पर्व बनारस में ही मनाया जाता है ऐसे में आज हम आपको देव दीपावली मनाने का धार्मिक वजह और इतिहास के बारे में बताने जा रहे है…
शुभ मुहूर्त
15 नवंबर यानी आज देव दिवाली का शुभ पर्व मनाया जा रहा है,आज शाम 5 बजे 10 मिनट से 7 बजे 47 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा, इस दौरान भगवान की पूजा की जाएगी.
पूजन विधि
देवदीपावली पर पूजा विधि में सबसे पहले घर या पूजा स्थल की सफाई और सजावट करें, फिर भगवान शिव, माता पार्वती और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों या चित्रों की स्थापना करें.दीपकों में तेल भरकर उन्हें जलाएं और पूजा स्थल पर रखें. हल्दी, सिंदूर, पंचमेवा, मिठाइयाँ और गंगाजल अर्पित करें. धूप, दीप और अगरबत्तियाँ जलाकर वातावरण को शुद्ध करें. पूजा के बाद घर के प्रत्येक कोने में दीपक रखें और दीपों की रौशनी से घर को सजाएं, अंत में आरती करके भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें और व्रत का पालन करें.
क्यों मनाई जाती है देवदीपावली ?
जहां देश भर में मनाया जाने वाले दीपावली का पर्व भगवान राम से आगमन से जुड़ा हुआ है, वही देव दीपावली का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा हुआ है. यही वजह है कि, इस देव दीपावली को देवताओं की दीपावली भी कहा जाता है. इसको मनाने की पीछे की एक मशहूर पौराणिक कथा है कि, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था. जिसकी खुशी में देवी – देवताओं में दीपक जलाकर इस जीत की जश्न मनाया था, तभी से ही देव दिपावली की परंपरा चली आ रही है.
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काशी में ही क्यों मनाते है देवदीपावली ?
उत्तर प्रदेश की पावन नगरी बनारस भगवान शिव का स्थली मानी जाती है, कहते है कि, यहां पर आज भी शिव वास करते है. वही मान्यता है कि, देव लोक से मानव लोक तक त्रिपुरासुर का आत्याचार फैल गया तो, सभी की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उससे युद्ध कर उसका वध कर लिया और सभी को सुरक्षित बचा लिया. इस बात से प्रसन्न होकर सभी देवी – देवता भगवान शिव से मिलने के लिए काशी पहुंचे थे, यहां पर आकर देवी – देवताओं ने गंगा में स्नान किया और दीपदान कर खुशियां मनाई थी, इसी कारण से काशी में देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है और यह परंपरा कई युगों से चली आ रही है.