सावधान ! UP में साइबर अपराधी तेजी से फैला रहे ‘डिजिटल अरेस्ट ‘ का जाल, कहीं आप भी तो नहीं हुए इसके शिकार… जानिए बचने के उपाय

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वाराणसी. डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. कभी न्यूड वीडियो वायरल करने की धमकी, कभी बेटे अथवा बेटी के सेक्स रैकेट में पकड़े जाने की खबर या फिर कभी ड्रग्स केस में फंसाने के नाम पर लोगों को फांस रहे हैं. इसी को लेकर कुछ दिनों पहले नोएडा में एक महिला की हार्ट अटैक से मौत भी हो गई थी, जब उसकी बेटी के सेक्स रैकेट में फंसे होने की बात अपराधियों ने उन्हें बताई थी.

हालांकि डिजिटल अरेस्ट कोई नया अपराध नहीं रह गया है, लेकिन इधर बीच ये काफी चर्चा में है. साइबर अपराधियों के लिए ये सबसे आसान हथकंडा हो गया है. इसमें साइबर अपराधी फ़ोन पर ही रहकर बड़े आसानी से any desk अथवा किसी अन्य सॉफ्टवेयर के जरिए लोगों को आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं. कई बार तो वह लोगों के फोन और लैपटॉप भी हैक करके उनके पर्सनल डाटा के माध्यम से उन्हें ब्लैक मेल करके मोटी रकम वसूलते हैं.

कुछ इस तरह के मामले आए सामने…

केस -1 : बुजुर्ग महिला से ठगे 32 लाख रुपए

इसी बीच मंगलवार को वाराणसी में एक केस सामने आया है, जब जालसाजों ने एक 67 वर्षीय बुजुर्ग महिला को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 32 लाख रुपए का चूना लगा दिया. हुकुलगंज स्थित चंद्रा रेजिडेंसी में रहने वाली 67 वर्षीय वृद्ध महिला नीना कौरा को साइबर जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर चकमा देकर 32 लाख 40 हजार रुपये की ठगी कर ली. जालसाजों ने डिजिटल तरीके से “अरेस्ट” करने की धमकी देकर वृद्धा से उनके बैंक खाते से बड़ी राशि जालसाजों के खातों में ट्रांसफर करवा ली. महिला ने साइबर क्राइम पुलिस थाने में घटना की शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

पुलिस स्टेशन इंचार्ज बनकर लगाया चूना…

पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, सुनील कुमार नाम के एक व्यक्ति ने नीना कौरा को व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल किया. उसने खुद को मुंबई के अंधेरी पुलिस स्टेशन का इंचार्ज बताया और आरोप लगाया कि नीना कौरा ने सिंगापुर निवासी टैंग बैंग हॉक को फर्जी पासपोर्ट, एटीएम कार्ड और 140 ग्राम एमडीएमए नामक प्रतिबंधित दवा कूरियर की है. सुनील ने दावा किया कि कूरियर पकड़ा गया है और उनके नाम से गिरफ्तारी का आदेश जारी हो चुका है. उसने नीना से कहा कि दो दिन के भीतर उन्हें अंधेरी पुलिस थाने पहुंचना होगा.

इसके बाद कॉल को एक अन्य व्यक्ति, जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी अनिल यादव बताया, से जोड़ दिया. अनिल यादव ने नीना कौरा को धमकाते हुए कहा कि अगर उन्होंने यह बात किसी को बताई तो उनके और उनके परिवार की जान को खतरा हो सकता है. इससे डरकर नीना कौरा ने इस बात की जानकारी किसी को नहीं दी.

RGTS के जरिए खाते में मंगाए पैसे…

जालसाजों ने आगे नीना से कहा कि उनकी वृद्धावस्था को ध्यान में रखते हुए वे अदालत से उनकी गिरफ्तारी रुकवाने की कोशिश करेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें अपने बैंक खाते के साथ मकान और वाहन की जानकारी देनी होगी. इसके बाद नीना को एक खाता नंबर भेजा गया और बैंक जाकर 32 लाख 40 हजार रुपये आरटीजीएस करने को कहा गया.

सहमी हुई वृद्ध महिला बिना किसी को बताए बैंक गईं और इतनी बड़ी रकम जालसाजों के खाते में ट्रांसफर कर दी. जालसाजों ने झांसा दिया कि वे अदालत में जाकर जमानत के कागजात बनवाएंगे और 24 घंटे के भीतर महिला का पूरा पैसा वापस कर देंगे. लेकिन समय बीतने के बाद जब उन्होंने व्हाट्सएप पर भेजे गए सभी दस्तावेज और आईडी डिलीट कर दिए और अपने नंबर बंद कर लिए, तो नीना को ठगी का एहसास हुआ. इसके बाद उन्होंने नागपुर में रहने वाले अपने बेटे को घटना की जानकारी दी. बेटे ने साइबर धोखाधड़ी की आशंका जताते हुए तुरंत पुलिस से संपर्क करने की सलाह दी, जिसके बाद नीना कौरा ने शिकायत दर्ज कराई.

केस नं -2 : महिला को 48 घंटे तक किया हाउस अरेस्ट

दूसरा ताजा केस सोनभद्र का है, जहां साइबर अपराधियों ने एक महिला को 48 घंटे तक ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के तहत कैद रखा और 2.9 लाख रुपये से अधिक का भुगतान करने के लिए मजबूर किया, जिसके बाद महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. सोनभद्र के एडिशनल एसपी कालू सिंह ने बताया कि सृष्टि मिश्रा नाम की एक महिला ने 18 अक्टूबर को पुलिस को सूचना दी कि उन्हें 9 अक्टूबर को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया. उन्हें कीपैड पर 9 दबाने के लिए कहा गया जिसके बाद उसकी कॉल ट्रांसफर हो गई.

एएसपी ने बताया कि मिश्रा को बताया गया कि उनके फोन नंबर का इस्तेमाल कर 38 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. शिकायत के अनुसार, महिला को 48 घंटे तक ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के तहत रखा गया था और पैसे ट्रांसफर नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी गई थी. उसने आरोपी को 2,94,262 रुपये का भुगतान किया.

हर वर्ग के लोगों को शिकार बना रहे जालसाज…

ये कोई पहला केस नहीं है, जब साइबर अपराधियों ने इस तरह के हथकण्डे अपनाकर किसी नीना कौरा को अपना शिकार बनाया हो. ऐसे कई केस यूपी के तमाम जिलों में सामने आए हैं, जब लोगों को ब्लैक मेल करके साइबर अपराधियों ने अपना शिकार बनाया हो. कई केसेज में तो लोग बेइज्जती के डर से पुलिस में शिकायत तक नहीं कराने जाते. साइबर जानकार बताते हैं कि पहले इनका शिकार हाउस वाइफ महिलाएं होती थीं, लेकिन अब ये हर वर्ग के लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं.

वाराणसी के साइबर एक्सपर्ट मृत्युंजय सिंह ने बताया कि “डिजिटल अरेस्ट” से बचने के लिए कुछ प्रमुख सावधानियों का पालन किया जा सकता है, ताकि ऑनलाइन ट्रैकिंग, डेटा चोरी, और डिजिटल निगरानी से खुद को सुरक्षित रखा जा सके.

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बचने के तरीके….

1. VPN का उपयोग करें: वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का उपयोग आपके इंटरनेट कनेक्शन को एन्क्रिप्ट करता है, जिससे आपकी ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करना कठिन हो जाता है.

2. एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन: मैसेजिंग ऐप्स में WhatsApp, Signal, या Telegram जैसे ऐप्स का उपयोग करें जो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन प्रदान करते हैं ताकि आपके संदेश सुरक्षित रहें.

3. स्ट्रांग पासवर्ड और 2FA: अपने सभी ऑनलाइन अकाउंट्स के लिए मजबूत और यूनिक पासवर्ड का उपयोग करें. साथ ही, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) चालू रखें जिससे आपकी सुरक्षा और भी मजबूत हो.

4. ब्राउज़र प्राइवेसी सेटिंग्स: अपने ब्राउज़र में “Do Not Track” विकल्प चालू करें और ऐसी एक्सटेंशन का उपयोग करें जो ऑनलाइन ट्रैकिंग को रोकते हैं जैसे कि uBlock Origin या Privacy Badger.

5. सुरक्षित नेटवर्क का उपयोग: सार्वजनिक Wi-Fi नेटवर्क का उपयोग करने से बचें या VPN का उपयोग करें, क्योंकि ये नेटवर्क अक्सर असुरक्षित होते हैं.

6. डेटा शेयरिंग कम करें: सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी सीमित रखें और अपनी पोस्ट की प्राइवेसी सेटिंग्स को सही से कॉन्फ़िगर करें.

7. सॉफ़्टवेयर अपडेट्स: अपने डिवाइस के सभी सॉफ़्टवेयर और ऐप्स को हमेशा अपडेट रखें ताकि किसी भी नए सुरक्षा खतरे से बचा जा सके.

8. अनुचित वेबसाइटों से बचें: संदिग्ध वेबसाइटों और लिंक पर क्लिक करने से बचें. साइबर हमले अक्सर फर्जी वेबसाइट्स और मालवेयर के जरिये होते हैं.

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9. ईमेल स्कैम से सावधान रहें: फिशिंग अटैक्स से बचने के लिए अनजान ईमेल और लिंक को न खोलें और किसी को संवेदनशील जानकारी साझा न करें.

10. डेटा निगरानी ऐप्स का उपयोग करें: कुछ ऐप्स या ब्राउज़र्स विशेष रूप से आपकी ऑनलाइन गतिविधियों को सुरक्षित रखने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जैसे कि Tor ब्राउज़र, जो आपकी पहचान को छिपाकर ब्राउज़िंग करने में मदद करता है.

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