प्रशांत किशोर ने बनाई अपनी पार्टी, नाम दिया जन सुराज पार्टी
पटना: देश के मशहूर चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने आज पटना के वेटेनरी ग्राउंड में अपनी पार्टी के नाम की घोषणा कर दी है . उन्होंने अपनी पार्टी का नाम जन सुराज पार्टी रखा है. दरअसल प्रशांत किशोर ने अपने रैली संबोधन के दौरान बताया कि उन लोगों को चुनाव आयोग से जन सुराज पार्टी के तौर पर अनुमति मिल गयी है. हालांकि प्रशांत किशोर ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों से भी पूछा- जन सुराज पार्टी नाम ठीक है न ? आप लोगों को पसंद है न ? अगर पसंद नहीं है तो हम चुनाव आयोग के पास फिर जाएंगे.
पार्टी के अध्यक्ष का हुआ एलान …
इतना ही नहीं आज पार्टी के घोषणा पर पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने घोषणा करते हुए बताया कि मनोज भारती जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष होंगे. इस दौरान उन्होंने लोगों से पूछा कि ठीक अध्यक्ष को चुने हैं न ? यह एससी समुदाय से आते हैं इसलिए उनको नहीं चुने हैं. बल्कि वह काबिल हैं इसलिए उनको अध्यक्ष बनाया गया है. बता दें, मनोज भारती ने IIT कानपुर से पढ़ाई की है.
जय बिहार का दिया नारा…
वेटेनरी मैदान में पार्टी के गठन के बाद प्रशांत किशोर ने बिहार के लिए जय बिहार का नारा दिया .इतना ही नहीं प्रशांत बीच-बीच में जनता के बीच जाकर लोगों से बातचीत करते रहे . भीड़ से जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर के संबोधन की आवाज उठने लगी. इसलिए प्रशांत किशोर मंच पर आकर थोड़ी देर के लिए लोगों को संबोधित करने लगे. इस दौरान उन्होंने कहा कि पहले बड़े नेताओं को सुन लिया जाए, उसके बाद वे बोलेंगे . इस मौके पर किसी सिन्हा ने भी सम्बोधित किया .
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कब हुई जन सुराज की स्थापना…
बता दें कि जन सुराज की स्थापना आज से 2 साल पहले साल 2022 में हुई थी . इस अभियान के तहत प्रशांत किशोर पूरे बिहार के पदयात्रा पर है . अब तक प्रशांत किशोर बिहार के 17 जिलों में यह यात्रा कर चुके हैं. जिसमें करीब 5000 किलोमीटर की दूरी शामिल हैं .
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चुनाव आयोग की लिस्ट में नहीं प्रशांत का चुनाव चिन्ह …
बता दें कि अब सवाल यह उठ रहा है कि पार्टी को चुनाव चिन्ह क्या मिलेगा . इसको लेकर अब नेताओं और समर्थकों में चर्चा है लेकिन आपको बता दें कि प्रशांत किशोर शुरुआत से ही अपने बैनर में गाँधी और उनके चरखे को स्थान दिया है. जानकारों का कहना है कि प्रशांत किशोर अपनी पार्टी के लिए आयोग से चरखा चाहते है लेकिन अब सवाल यह है कि चुनाव आयोग की लिस्ट में चरखा है ही नहीं. प्रशांत और उनके समर्थकों की पसंद चरखा है क्योंकि उन्होंने अपनी यात्रा 2 अक्टूबर से शुरू की थी और पार्टी का गठन 2 अक्टूबर को किया है.