बीएचयू के दिव्यांग छात्रों को दी जाने वाली सहायता राशि बढ़ाकर 10000 की गयी
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में भव्य समारोह का आयोजन..
महात्मा गांधी की 155वीं जयंती व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जयंती के अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में भव्य समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ मालवीय भवन में कुलपति, प्राध्यापकगण और गणमान्य अतिथियों ने महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री और पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर किया. कार्यक्रम के दौरान कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने कुलसचिव और छात्र अधिष्ठाता के सुझाव को मानते हुए बीएचयू में अध्यनरत दिव्यांग छात्रों को दी जाने वाली सहायता राशि को 5000 से बढ़कर 10000 रुपये किए जाने की घोषणा की. साथ ही अंत्योदय अन्न योजना कार्ड धारक छात्र-छात्राओं को एक बार 25000 रुपये कैश सहायता सवरुप में दिए जाने की भी घोषणा की.
गांधी और शास्त्री ने शार्टकट नहीं अपनाया
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, प्रो. अमित पात्रा ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी के विचारों और आदर्शों की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा कि ये हम सभ बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमारे समक्ष महात्मा गांधी जैसे महापुरुषों की विरासत है, जो सदैव हमें प्रेरित करने के साथ साथ हमारा मार्गदर्शन करती आई है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने दुनिया को दिखाया कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भी कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
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देश को स्वाधीन करने की गांधी जी की प्रतिज्ञा भीष्म प्रतिज्ञा सी प्रतीत होती है. प्रो. पात्रा ने कहा कि गांधी जी तथा शास्त्री जी ने अपने लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए कोई भी शॉर्टकट नहीं अपनाया और अपने मार्ग से कभी डिगे नहीं एवं ना ही अपने विचारों से समझौता किया. महात्मा गांधी की अहिंसा और सत्य की विरासत हमारे समुदायों के सशक्तिकरण की दिशा में प्रेरणा बनी.
जो सही है वही करेंगे
कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने अध्यक्षीय उद्बोधन में महात्मा गांधी के विचार “जो सही है वही करेंगे” की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि बीएचयू के साथ महात्मा गांधी का संबंध गहरा रहा है. हमें अपने पूर्वजों महामना और महात्मा गांधी जैसे विद्वानों की विचारधारा को आत्मसात करना चाहिए. कई मुद्दों पर महामना और महात्मा गांधी के बीच मतभेद होने के बावजूद दोनों में परस्पर सद्भाव बहुत गहरा था. सत्य और अहिंसा का दुनिया में महात्मा गांधी से बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता. सामान्य व्यक्ति से महान बनने की यात्रा में बापू ने अपने विचारों से कभी समझौता नहीं किया.
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महात्मा गांधी जी ने सत्य, अहिंसा और शांति के मार्ग पर चलकर दुनिया को एक नई राह दिखाई. उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई और धैर्य से बड़े से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं. प्रो. जैन ने आगे कहा कि लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन सादगी, ईमानदारी और राष्ट्रसेवा का प्रतीक था। उन्होंने “जय जवान, जय किसान” का नारा देकर देश को एक नई दिशा दी. इस दौरान प्रोफेसर प्रवीण उधव के निर्देशन 51 तबला साधकों ने तालांजलि काशी यात्रा के बैनर तले अद्भुत संगीतमय प्रस्तुति दी. इससे पहले कुलपति जी की अगुवाई में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने गांधी चबूतरा पर बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की.