बनारस के घाटों पर पितरों को तर्पण के लिए हुजूम उमड़ा, किया श्राद्ध

पितृ पक्ष के आखरी दिन अस्सी घाट सहित अन्य मुख्य घाटों पर

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पितृ पक्ष का समय बहुत अहम माना जाता है. इसे पितृ पक्ष या श्राद्ध भी कहा जाता है. यह पूर्वजों का तर्पण करने के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण अवधि है, जो 16 दिनों तक चलती है. ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही पितृ दोष से जुड़ी मुश्किलों का निवारण होता है. वहीं, पितृ पक्ष की 3 ऐसी तिथियां हैं, जिसमें श्राद्ध-कर्म करने से उनकी आत्मा तृप्त होती है. पितृ पक्ष चल रहा हैं . इस बार दो अक्टूबर को अपने पितरों को तर्पण करने के लिए अस्सी घाट पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. मान्यता है कि पितृ पक्ष में तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और तर्पण करने वालों को सुख-शांति मिलती है.

गंगा घाटों पर तर्पण करने उमड़ी भीड़

पितृ पक्ष के आखरी दिन अस्सी घाट सहित अन्य मुख्य घाटों पर तीर्थ पुरोहितों ने विधि-विधान से लोगों को तर्पण कराया. वहीं कई लोगों ने खुद गंगा स्नान कर माता-पिता और अपने पूर्वजों के नाम पर तर्पण किया. वहीं शहर के अस्सी, दशाश्व मेध, तुलसी और शिवाला घाट पर भी लोग पितरों को तर्पण करते नजर आए. लोग बड़ी ही आस्था और विश्वास के साथ तर्पण करते नजर आए.

पितृ पक्ष में ये कार्य हैं वर्जित

पुरोहित राहुल पांडेय ने बताया कि पितृ पक्ष में कोई शुभ कार्य नहीं होता है. साथ ही इस बीच घर में मांस, मदिरा का सेवन वर्जित रहता है. यहां तक की नाखून और बाल तक कटाने की मनाही होती है. अंतिम दिन विसर्जन कर पुरोहित को दान करने के बाद कोई शुभ कार्य शुरू किया जा सकता है.

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पूर्वजों से आशीर्वाद लेने का समय है पितृ पक्ष

इस संबंध में पुरोहित राहुल पांडे और बटुक महाराज कहते हैं कि पितृ पक्ष पूर्वजों से आशीर्वाद लेने का अवसर होता है. साल भर में पितृ पक्ष ही ऐसा समय है जब हमारे पितर धरती पर उतरते हैं. वो साल भर से प्यासे रहते हैं. उनको यह आशा रहती है कि कुल का कोई वंश आएगा और तर्पण कर उन्हें संतुष्ट करेगा. ऐसा करने से उनका आशीर्वाद सीधे-सीधे तर्पण करने वाले को प्राप्त होता है.

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महिलाएं भी पहुंची तर्पण करने

पितृ पक्ष में तर्पण करने के लिए गंगा घाट पर कई महिलाएं भी नजर आईं. जिन दंपती के पुत्र नहीं हैं और सिर्फ लड़कियां हैं यदि वो लड़की अपने कुल का तर्पण करती हैं तो पितृ की आत्मा की शांति मिलती है और पितृ प्रसन्न होते हैं.

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वह बातचीत के दौरान महिलाओं ने बताया कि हमारे घर में लड़के नहीं है तो हम अपने पितरों को तर्पण करने के लिए घाट पर पहुंचे हैं.

घाटों पर फैला है कीचड़

अस्सी घाट की बात करें तो आज लोग अपने पितरों को तर्पण करने के लिए पहुंचे हैं परंतु घाटों पर सिल्ट अभी भी जमा है. लोग इस कीचड़ में से होकर स्नान कर रहे हैं. वही लोग नगर निगम को कोसते नजर आए.

तीर्थ पुरोहित और पिंडदान करने आए लोगों ने बताया कि आज गंगा को घाटे लगभग 7 दिन हो गए हैं परंतु नगर निगम द्वारा अभी भी घाटों पर सफाई कार्य नहीं कराया जा रहा है. जिससे आने वालेलोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

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