व्यासजी के निधन से रामनगर की रामलीला के मुख्य स्वरूपों का प्रशिक्षण प्रभावित, महाराज के आदेश का इंतजार

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वाराणसी के रामनगर की रामलीला के प्रमुख व्यास रघुनाथ दत्त शर्मा के निधन के बाद लीला के मुख्य स्वरूपों का प्रशिक्षण प्रभावित हो गया है. फिलहाल इस संबंध में काशी नरेश परिवार के महाराज अनंत नारायण सिंह के आदेश का इंतजार है. हालांकि मुख्य पात्रों के आवास में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, बल्कि व्यास का परिवार मृत्युपरांत होने वाले संस्कार वहीं से करेगा. पात्रों के मुकुट और मुखौटों के रंगरोगन समेत अन्य तैयारियां की जा रही हैं. पांचों मुख्य स्वरूप बलुआ घाट धर्मशाला में ही रहेंगे. फिलहाल इनके प्रशिक्षण के लिए किसी को अधिकृत नहीं किया गया है. बता दें कि प्रमुख व्यास का मंगलवार को निधन हो जाने के कारण उनका परिवार सूतक में चला गया है. इससे मुख्य स्वरूपों के प्रशिक्षण का काम प्रभावित हो गया है.

उधर, रामलीला की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. रामलीला के आरंभिक चरण में काम आने वाले पुतलों के निर्माण का कार्य बुधवार को रामबाग में शुरू हो गया. राजू खां के निर्देशन में कारीगरों की टीम ने शेषनाग, मोर हंस आदि दर्जनों पुतलों का निर्माण शुरू कर दिया है.

मुख्य स्वरूपों में अथर्व निभाएंगे श्रीराम की भूमिका

अनंत चतुर्दशी से शुरू होने वाली विश्वप्रसिद्ध रामनगर की रामलीला में मुख्य स्वरूपों का चयन हो चुका है. मारूफपुर, सैदपुर (चंदौली) के अथर्व पांडेय श्रीराम की भूमिका निभाएंगे. वह पिछली बार सीता की भूमिका में थे. आगामी 17 सितंबर से शुरू होने वाली रामलीला के लिए स्वरूपों के चयन को अंतिम रूप दे दिया गया है. रामनगर किले में कुंवर अनंत नारायण सिंह की मौजूदगी में दूसरे और अंतिम दौर की स्वर परीक्षा के बाद पांच बालकों का चयन किया गया. जानकी की भूमिका में जगतपुर वाराणसी के आदित्य मिश्रा रहेंगे. प्रह्लादघाट के देवराज त्रिपाठी भरत और गोधना चंदौली के सूरज पाठक लक्ष्मण बनेंगे. नारायनपुर मिर्जापुर के ओम उपाध्याय शत्रुघ्न की भूमिका में रहेंगे.

 

 

 

इस बार खास बात यह है कि तीन बच्चों को लगातार दूसरे साल मुख्य स्वरूपों के लिए चुना गया. अथर्व के अलावा देवराज त्रिपाठी पिछले साल भी भरत की भूमिका में थे. वहीं, लगातार दो साल शत्रुघ्न की भूमिका निभाने वाले सूरज पाठक को इस बार लक्ष्मण की भूमिका के लिए चुना गया.

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15 साल की आयुवर्ग के हैं मुख्य पात्र

चयनित सभी बालक 15 साल की आयुवर्ग के हैं. स्वर की कोमलता और भाव संप्रेषण की क्षमता के आधार पर 19 बालकों के बीच इनका चयन किया गया. इनसे संस्कृत के श्लोक और मानस की चौपाइयों का सस्वर पाठ कराया गया. उसके बाद कुंवर ने अंतिम सूची पर मुहर लगा दी. 24 जुलाई को प्रथम गणेश पूजन के बाद चयनित बालकों का बलुआघाट धर्मशाला में प्रशिक्षण की तैयारी थी लेकिन इस बीच रामलीला व्यास रघुनाथ दत्त के निधन से प्रशिक्षण पर ब्रेक लग गया है.

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