ISRO ने रचा इतिहास, SSLV -D3 का लांच सफल…
यह सैटेलाइट्स धरती से 475 किलोमीटर की ऊंचाई के गोलाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएंगे.
ISRO EOS -8 Satellite Launch: ISRO ने आज एक बार फिर बड़ी छलांग लगते हुए इतिहास रच दिया है. ISRO ने आज सुबह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से SSLV-D3 रॉकेट लांच किया, जो सफलता पूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित हो गया है. यह SSLV-D3 की तीसरी एयर आखिरी फ्लाइट है. कहा जा रहा है की SSLV-D3-EOS -8 अपने साथ एक रॉकेट लेकर जा रहा है जो धरती की निगरानी के लिए बना है. यह सैटेलाइट्स धरती से 475 किलोमीटर की ऊंचाई के गोलाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएंगे.
क्या है SSLV- D3 रॉकेट…
SSLV का फुल फार्म स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल और D3 मतलब तीसरी डिमॉनस्ट्रेशन फ्लाइट है. इस उपग्रह, ईओएस-08 का वजन 175.5 किलोग्राम है और यह अपने मिशन के लिए महत्वपूर्ण उन्नत तकनीकों को अपने साथ ले गया है.
पृथ्वी को प्राकृतिक आपदाओं से बचाएगा…
कहा जा है कि इस रॉकेट के लॉच होने से आपदाओं की जानकारी मिलेगी. जैसे जंगल में आग, ज्वालामुखी का फटना, इतना ही नहीं इसकी मदद से GNSS-R के जरिए समुद्री सतह पर हवा का विश्लेषण किया जाएगा. मिट्टी की नमी और बाढ़ का पता किया जाएगा. वहीं SiC UV डोजीमीटर से अल्ट्रावायलेट रेडिएशन की जांच करेगा जिससे गणयन में मदद मिलेगी.
लॉन्ग वेव की लेगी इंफ्रारेड तस्वीरें, मिलेगा अलर्ट…
अर्थ ओब्जेर्वेशन सैटेलाइट यानि EOS- 8 पर्यावरण की मॉनिटरिंग, आपदा प्रबंधन और तकनीकी डेमॉन्स्ट्रेशन का काम करेगा. 175.5 kg वजनी इस सैटेलाइट में तीन स्टेट-ऑफ-द-आर्ट पेलोड हैं. EOIR, GNSS-R और SiC UV Dosimeter पोलैंड है जिससे यह EOIR दिन-रात में मिड और लॉन्ग वेव की इंफ्रारेड तस्वीरें लेगा.
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मिशन की बड़ी बातें…
बता दें कि मिशन की खास बात यह है कि EOS -8 का वजन 175.5 किलो है और यह 34 मीटर लंबे SSLV-D3 का वजन 120 टन का है. कहा जा रहा है कि SSLV अपनी त्रीव असेंबली क्षमता से खुद को अलग करता है और अन्य रॉकेटों के लगने वाले 45 दिन की तुलना में एक सप्ताह का समय लगता है. साथ ही भविष्य में यह मिशन गगनयान के लिए मददगार साबित होगा.