69000 शिक्षक भर्ती: सीएम योगी ने घोटाले के आरोप को बताया निराधार, अभ्यर्थी भड़के…

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प्रदेश में एक बार फिर 69000 शिक्षक भर्ती का मामला तूल पकड़ने लगा है, क्योंकि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बीजेपी ओबीसी मोर्चा की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान 69000 शिक्षक भर्ती में हुए घोटाले के आरोप को निराधार बताया. इसे लेकर अभ्यर्थियों में आक्रोश हो गया है.

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने की थी आरक्षित वर्ग को नौकरी देने से वंचित करने की पुष्टि

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद 6800 भर्ती को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों में सीएम योगी के खिलाफ फिर से आक्रोश हो गया है. अभ्यर्थियों का आरोप कि इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो टिप्पणी की है वह ठीक नहीं है. क्योंकि, यह मामला अभी कोर्ट में हैं. जब तक निर्णय नहीं आ जाता तब तक यह दावा कैसे किया जा सकता है कि भर्ती निष्पक्ष हुई है, जबकि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भर्ती में व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग को नौकरी देने से वंचित करने की पुष्टि की है.

विभाग के अधिकारियों ने भी मानी गलती…

गौरतलब है कि इस मामले में विभाग के अधिकारियों ने खुद आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की 6800 की सूची भी जारी कर यह स्वीकार किया था कि भर्ती में नियमों का पालन नहीं हुआ है. अधिकारियों ने कहा था कि इन सभी पीड़ित आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाएगी. इस संबंध में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पीड़ित आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों से मुलाकात की थी.

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सीएम ने अभ्यर्थियों को सपा का मोहरा

गौरतलब है कि बीजेपी ओबीसी मोर्चा की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने इन अभ्यथियों को सपा का मोहरा करार दिया था. सीएम ने कहा था कि- जो इस समय 69 हजार शिक्षकों की भर्ती पर प्रश्न खड़ा किया जा रहा है. ये लोग समाजवादी पार्टी के वही मोहरे हैं, जो लोग 86 में से 56.. एक ही परिवार और एक ही जाति विशेष के लोगों को भरने का काम किए थे. वो लोग ही आज प्रश्न खड़ा करते हैं. 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में अगर 27 प्रतिशत ओबीसी को आरक्षण के हिसाब से भर्ती होती तो भर्ती 18,200 होती, लेकिन भर्ती हुई 31 हजार 500 युवाओं की. उन्हें इस बात की चिंता है..

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