30 जून तक था सफाई का दावा और आधे नाले भी नहीं हो सके साफ

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बनारस में पिछले कुछ दिनों से मानसून ने हल्की दस्तक दी है. शहर में थोड़ी बारिश होते ही शहर की सड़कों पर जलभराव ने सारी नगर प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल दी है. काशी के विभिन्न हिस्सों में जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो गई है.

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जूलाई की शुरुआत लेकिन अभी तक नहीं हो सकी नालों की सफाई

इस शहर में छोटे-बड़े 403 नाले हैं. इसमें इजीनियरिंग विभाग के 101 बड़े नाले व स्वास्थ विभाग के अधीन 301 छोटे नाले शामिल हैं. अगर बड़े नालों की बात करें तो लंबाई करीब 224 किलोमीटर व छोटे नालों की लंबाई करीब 163 किलोमीटर है. वहीं निगम ने 25 दिनों में 30 बड़े नाले व 224 छोटे नालों को साफ कराने का दावा किया है. इन नालों से 45 हजार टन से अधिक सिल्ट व मलबा निकालने का दावा भी निगम की ओर से किया गया है. इसके अलावा आधुनिक मशीनों का नालों की सफाई के लिये प्रयोग किया जा रहा है. हालांकि अभी भी कई नालों की सफाई नहीं हो सकी है. इसमें से गिलट बाजार, नक्खीघाट, भेलूपुर, ट्रामा सेन्टर, जैतपुरा, रामनगर, छित्तुपुर, सिगरा, जगतगंज, चितईपुर आदि क्षेत्रों में नालों की सफाई नहीं हो सकी है.

हल्की बारिश से सीताराम द्वार पर हुआ जलजमाव

बनारस में हल्की बारिश से रविवार को कई जगहों पर जलजमाव की स्थिति बन गई. पहले अंधरापुल नाम से जाना जानेवाला यह चौराहा अब सीताराम द्वार के नाम से जाना जाता है. यहां का निचला हिस्सा तो पानी से भर गया. दोनों तरफ रेलवे के ओवरब्रिज के नीचे भी पानी भरा रहा. आने-जाने वाले राहगीरों ने किसी तरह निकलने का प्यास भी किया तो ऊपर से टपक रहे पानी के कारण परेशानी उठानी पड़ी. शहर के प्रमुख स्थलों को जोड़ने वाला यह चौराहा बारिश को लेकर तैयारियों की पोल खोल रहा है. शहर की मुख्य सड़कों काऐसा हाल है, छोटी गलियों और मोहल्लों का हाल तो और दयनीय दिखाई दे रहा है.

पीने का पानी हुआ दूषित, धरने पर बैठे लोग

शहर की सड़कों के अलावा अब नलों में भी नालों का पानी आ रहा है. आदर्शनगर मंडुआडीह में दूषित जलापूर्ति के विरोध में स्थानीय लोगों ने जलकल विभाग के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया. आरोप लगाया कि विगत कई माह से सीवरयुक्त गंदा पानी आ रहा है. शिकायत के बाद भी समाधान नहीं किया गया. वहीं लोगों ने कहा कि अगर जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा. वहीं शहर के कई अन्य क्षेत्रो में भी ऐसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं.

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