फ्लैट लेते समय धोखाधड़ी से कैसे बचे, अपनाएं ये तरीके…

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दिल्ली-एनसीआर जैसे शहर में फ्लैट खरीदने में धोखाधड़ी से बचना सबसे कठिन है. अनजान शहर, अनजान बिल्डर और ऊपर से पजेशन (खरीदी गई संपत्ति को लेने में लगने वाला लंबा समय) आपके साथ फर्जीवाड़े की आशंका को बढ़ाते हैं. ऐसे में आपको बतौर खरीदार बहुत सावधान रहने की जरूरत है. भूमि-जायदाद का कानून इतना कठिन है कि पैसे को वापस पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. एक छोटी सी चूक आपको कानूनी पेच में फंसा सकती है, फ्लैट लेने से पहले आपको पांच बातें जरूर देखनी चाहिए…

फ्लैट खऱीदते समय इन बातों का रखे ध्यान

पेपर की करें जांच

सिर्फ कागजात ही संपत्ति का असली मालिक बता सकते हैं. यही कारण है कि, मालिक से संपत्ति के मूल कागजों की मांग करें. आप कागज देखने के बाद बुकिंग की फोटो कॉपी भी मांग सकते हैं. साथ ही कब्जा, यानी पजेशन सर्टिफिकेट, टाइटल, जमीन का उपयोग, पहले बेचा गया और खरीदा गया संपत्ति, सेल डीड और सेल चेन शामिल हैं. आप इन कागजातों को देखने के लिए किसी वकील या फिर इस क्षेत्र में काम करने वाले किसी अन्य व्यक्ति की मदद ले सकते हैं.

फ्लैट लेते समय टाइटल की करें जांच

टाइटल का अर्थ स्वामी या मालिक से होता है, जिससे संपत्ति खरीद-फरोख्त की जाती है. वह भी उस संपत्ति को बेचने का अधिकारी है. यहां देखने वाली बात यह है कि, जिस संपत्ति का मालिक दावा कर रहा है या बता रहा है, उस संपत्ति का स्वामित्व उसे किस तरह प्राप्त हुआ है. उस व्यक्ति ने वह संपत्ति खुद खरीदी है ? वह उस संपत्ति का को-ऑनर है या फिर उसे वह संपत्ति वसीयत, उपहार या किसी अन्य तरीके से मिली है. संबंधित क्षेत्र के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस से टाइटल की जांच कर सकते हैं.

फ्लैट लेते समय विक्रेता की भी जानकारी जुटाएं

संपत्ति का टाइटल (यानी मालिक) चेक करने के बाद स्वामित्व की जानकारी भी जुटाएं. आप सीधे उससे पूछ लीजिए कि क्या इस संपत्ति का कोई और को-ऑनर है ? आपको ट्रस्ट या फर्म के सभी सदस्यों की सहमति लेनी होगी, चाहे वह संयुक्त स्वामित्व में हो या किसी ट्रस्ट या पार्टनरशिप फर्म के नाम पर हो. यह भी सुनिश्चित करें कि आप किसी मानसिक बीमार व्यक्ति से संपत्ति तो नहीं खरीद रहे हैं क्योंकि ऐसा करना आपको मुसीबत में डाल सकता है. यही कारण है कि केवल मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति से संपत्ति खरीदने का सौदा करें.

सेल डीड को सावधानी से तैयार करें

विक्रेता और डॉक्यूमेंट की जांच-परख के बाद आती है सेल डीड की बारी. यह दस्तावेज बताता है कि आप उस संपत्ति को विक्रेता से किन शर्तों और किस दाम पर खरीदेंगे. इस लेख में संपत्ति का आकार और उसका उपयोग भी बताया जाता है. सेल डीड बनाते समय यह ध्यान रखें कि यह दस्तावेज एक पक्षीय नहीं होगा और यह भी लिखना न भूलें कि संपत्ति खरीदने के बाद भी विक्रेता की जिम्मेदारी होगी यदि कोई बकाया है. बिजली, पानी, टेलीफोन, गैस या बिजली के बिल अक्सर बकाया रहते हैं, या फिर संपत्ति टैक्स आदि बकाया रहते हैं.

बिक्री चेन की करें जांच

किसी संपत्ति को खरीदने से पहले यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि, वह पहले कितनी बार बिकी है और किस व्यक्ति के स्वामित्व में रहा है. उसकी जानकारी संपत्ति के क्रय-विक्रय से पहले के कागजात से मिलेगी. यह बेहतर होगा कि आप उस संपत्ति को किसके पास कब और कितने समय तक था, उसकी चेन मिला लें.

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पजेशन सर्टिफिकेट की करें जांच

खरीद की अंतिम रकम देने से पहले यह तय कर लें कि, उस संपत्ति पर उसका ही पजेशन यानी कब्जा है, जिससे आप खरीद रहे है. अगर उस संपत्ति में कोई किरायेदार हो तो, अपने नाम पर रजिस्ट्री करवाने से पहले ही आप विक्रेता से संपत्ति खाली कराने को कहें. इसके बाद, संपत्ति को खाली करके विक्रेता को सौंप दें. आप संपत्ति को अपने हाथ में लेकर ताला लगा दें जैसे ही वह रजिस्ट्री हो जाए.

अखबारों में छपवाएं विज्ञापन

इसके अलावा, आप संपत्ति खरीदने से पहले राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर के दो दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन भी लगा सकते हैं कि आप इस संपत्ति को खरीदने जा रहे हैं. इससे किसी को आपत्ति हो या उसे लेकर कोई दावा करना हो तो वह आपसे संपर्क कर सकता है. भविष्य में ऐसा करने से आपका कानूनी पक्ष मजबूत होगा.

 

 

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