काशी के मूंगेवाले हनुमानजी को रस्सी के बंधन से मिली मुक्ति
श्रीकाशी विश्वनाथ कारीडोर परिसर से सटे ढुंढीराज गणेश मंदिर से दस कदम की दूरी पर रस्सी के बंधन में जकड़े प्रसिद्ध मूंगेवाले हनुमानजी को शनिवार को मुक्ति मिल गई. जी हां इस मूर्ति को बांधकर रखा गया था. दरअसल काशी विश्वनाथ कोरिडोर बनने के बाद कुछ मूर्तियों को उनके मूल स्थान पर स्थापित कर दिया गया, लेकिन हमारे हनुमान जी मुक्त होने का इंतजार करते रह गए. शनिवार को हनुमानजी को बंधन से मुक्त कर उनकी मूर्ति को मंदिर में स्थापित कर दी गई. काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने मन्दिर में हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित किया.
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क्यों जकड़कर रखा गया था हनुमानजी को
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के चौखट पर तीन वर्षों से हनुमानजी को जकड़कर रखा गया था. काशी में हनुमान जी की ये मूर्ति बेहद प्राचीन है. हनुमानजी की इस मूर्ति को पुतलीबाई मंदिर में बाहर लगे खंभे से बांधकर रखा गया था. दरहसल श्री काशीविश्वनाथ कोरिडोर का जब निर्माण हो रहा था तब आसपास के मंदिरों की मूर्तियों को मूल स्थान से हटाया गया था और उन्हें पुनः स्थापित करने का निर्णय लिया गया था. उसी दौरान से मूंगेवाले हनुमान जी की इस मूर्ति को बांधकर रखा गया था. ताकि मूर्ति को कोई क्षति न पहुंचे. तब से यह मूर्ति अपनी स्थापना का इंतजार कर रही थी.
क्या कहते हैं दर्शन करने आए श्रद्धालु
श्रीकाशी विश्वनाथ में आए दर्शनार्थी सूर्यांशु सिंह और स्मृति सिंह ने बताया कि वे पिछली बार काशी आए थे, तब उन्होंने हनुमान जी की मूर्ति को जकड़े हुए देखा था. उन्हें हनुमान जी की मूर्ति को देख कर ये प्रतित हो रहा था मानो हनुमान जी लंबे समय से कष्ट में हों और अपनी स्थापना की प्रतीक्षा कर रहे हों. उन्होंने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से एक वीडियो से हनुमान जी की इस मूर्ति की जानकारी मिली थी. बता दें. हनुमान जी की इस प्राचीन मूर्ति को सर से लेकर पाव तक बांधकर रखा गया था.
देश में दो जगह स्थापित है मूंगे वाले हनुमान की मूर्ति
स्थापित किए गए हनुमानजी कि सबसे बड़ी विशेषता है कि हनुमान जी की मूर्ति का एक अलग ही इतिहास है. खंभे से बंधी यह हनुमान मूर्ति देश में गिनी-चुनी प्राचीन हनुमान जी की मूर्तियों में से एक है. खास बात ये है कि विश्व में मूंगे वाले हनुमान की मूर्ति सिर्फ 2 जगह ही स्थापित है. पहली मूर्ति काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर में और दूसरी मूर्ति चंपारण (बिहार) जिले के बेतिया तहसील के लाल बाजार हनुमान मंदिर में स्थित है. आपको बात दें कि मूंगे के पत्थर से बनी यह मूर्ति बेशकीमती है. इनकी आध्यात्मिक मान्यता भी है और इधर बीच मूंगेवाले हनुमानजी की खबरें और वीडियो सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड भी कर रही है.
पूजा पाठ में हो रही थी अनियमितता
काशी विश्वनाथ मंदिर में कई प्रतिमाएं स्थापित हैं और प्रतिदिन उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. लेकिन शिव के 11वें अवतार के रूप में पूजे जाने वाले हनुमानजी की मूर्ति के पूजन में अनियमितता हो रही थी, वहां के स्थानीय दुकानदार ने बताया कि वहां सिर्फ एक पुजारी आते थे जो सुबह कभी-कभी पूजा कर देते थे. प्राचीन हनुमानजी की मूर्ति की पूजा में अनियमितता देखने एक शाम काशी विश्वनाथ के मुख्य कार्यपलक विश्व भूषण मिश्र पहुंचे. उन्होंने पूजा पाठ में अनियमितता देख हनुमानजी की मूर्ति को फिर से पूरे सम्मान के साथ स्थापित करा दिया.
written by Tanisha Srivastava