ज्ञानवापी कुंड के जल से किया माता शृंगार गौरी का किया अभिषेक

पूजन सामग्री लिये और जयकारा लगाते मंदिर पहुंची भक्तों की टोली

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वर्ष में एकबार चैत्र नवरात्रि पर ज्ञानवापी स्थित माता शृंगार गौरी का भव्य दर्शन-पूजन हुआ. वर्षों तक माता के दर्शन पर प्रतिबंध के कारण लोग इस मंदिर में दर्शन नही कर पाते रहे. लेकिन चैत्र नवरात्रि पर माता के दर्शन की अनुमति मिलने के बाद श्रद्धालुओं में जबर्दस्त उत्साह रहा.

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माता के दर्शन के लिए भक्तों की टोली चौक पर स्थित चित्रा सिनेमा के पास एकत्रित हुई. हाथों में पूजन सामग्री माला-फूल, प्रसाद, नारियल, ध्वज लेकर भक्त माता की जयकारा लगाते हुए गुलशन कपूर के नेतृत्व में ज्ञानवापी पहुंचे. सर्वप्रथम माता का ज्ञानवापी कूप के जल से अभिषेक कराया गया. इसके बाद गुलाब, अढुउल, बेला के फूल से श्रृंगार किया गया. फिर माता को सिन्दूर अर्पण करके विविध मिष्ठान का भोग लगाकर आरती की गयी. इसके बाद सभी भक्त हाथों में नारियल लेकर मंदिर की परिक्रमा किये व नारियल चढाया. माता रानी से विश्व कल्याण, मानव समाज की रक्षा व भव्य माता का मंदिर बने इसके लिए प्रार्थना की. आयोजन के दौरान माता का सुगमता से दर्शन-पूजन करानेवालों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया.

छाजन की व्यवस्था न करने पर दर्ज कराई गई शिकायत

मंदिर प्रशासन द्वारा मुख्य द्वार बंद रखने व जमीन के जलते पत्थर व माता के पास छज्जा (छाजन) की व्यवस्था न किए जाने की शिकायत दर्ज करायी गयी. कार्यक्रम में गुलशन कपूर, पं. विजय शंकर पांडेय, महंत अश्विन पांडेय, राजू पाठक, अमित पाठक, कुश अग्रहरी, संदीप चतुर्वेदी, नीरज गुप्ता, सुनिल श्रीवास्तव, संजय गुप्ता, राजेश गुप्ता, रोहित चतुर्वेद, गपु मोहले, ब्रिजश्याम तिवारी, चैतन्य शास्त्री, विजू गुप्ता, राकेश तिवारी, अभिषेक प्रजापति, भोला मंडल, राहुल पांडेय, महर्षि महेश योगी संस्थान के बटुको सहित सेंकड़ों पुरूष और महिलाएं शामिल रहीं.

पहले नही करने दिया जाता था दर्शन

गौरतलब है कि पहले लोग ज्ञानवापी विवाद को देखते हुए माता श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. शिवसेना के कार्यकर्ता हर वर्ष माता के दर्शन का एलान करते थे और पुलिस प्रशासन उन्हें जाने नही देता था. कार्यकर्ता गिरफ्तारियां देकर चले जाते थे. काफी संघर्षों के बाद वर्ष 2005 में एक दिन के दर्शन पूजन के लिए चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी को मंदिर खुला. तब से आज तक इस परम्परा को काशीवाशी निभाते चले आ रहे हैं. फिलहाल माता के अनवरत दर्शन के लिए याचिका कोर्ट में विचाराधीन है. अभी इस मामले में फैसला आना बाकी है.

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