Varanasi नगर निगम के परिवहन विभाग में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता का मामला उजागर हुआ है. यह मामला पांच साल पहले का है. अधिक दाम पर वाहनों के पार्ट्स खरीदने और बिना मरम्मत भुगतान के मामले में जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने नगर आयुक्त अक्षत वर्मा को पत्र भेजा है. जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा गया है. इसकी जिम्मेदारी नगर आयुक्त को सौंपी गई है. घोटाले की इस रिपोर्ट से निगम में खलबली मची है.
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डीएम का पत्र मिलने के बाद नगर आयुक्त ने अपर नगर आयुक्त दुष्यंत कुमार मौर्य की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच टीम गठित कर उनसे सोमवार तक रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018-19 में परिवहन विभाग में 10 फर्मों से वाहनों की मरम्मत कराई गई थी. वह भी ऐसे फर्म से मरम्मत कराने की बात कही गई है जिनका रजिस्ट्रेशन नगर निगम में नहीं है. यूनाइटेड सेल्स कंपनी और मनीष ऑटो सेल्स एंड सर्विसेज के कोटेशन में मोबाइल नम्बर भी एक है. भुगतान के बिलों में जॉब वर्क के लिए कोई अलग से धनराशि नहीं मांगी गई.
ज्यादातर फर्में एक ही परिवार की
बताया जाता है कि कुछ वाहनों की मरम्मत 10 से 12 बार कराई गई है और भुगतान किया गया. चौकानेवाली बात यह है कि ज्यादातर फर्म एक ही परिवार के लोगों की हैं. कोटेशन पर भी दो से तीन लोगों की लिखावट मिली है. जांच टीम ने धनराशि वसूलने और कार्रवाई की संस्तुति की है. परिवहन विभाग के कर्मचारियों और फर्म के बीच साठगांठ कर कूटरचित कार्य किया गया है. लागबुक में वाहनों की मरम्मत और मीटर रीडिंग का कॉलम भी खाली है. जो गाड़ियां खराब है उनमें भी डीजल भरवाया गया है. वाहनों का सामान खरीदने के लिए किस्तों में 1.28 करोड़ की धनराशि खर्च कर दी गई. टायर-ट्यूब के नाम पर 22.48 लाख का भुगतान अधिक किया गया है. उस समय मामला उजागर होने और कथित जांच के बाद अधिकारियों ने पांच कर्मचारियों का निलंबन कर दिया था. लेकिन बाद में चार कर्मचारी बहाल हो गए और एक कर्मचारी सेवानिवृत्त हैं.
कैंट विधायक ने की थी डीएम से शिकायत
बताया जाता है कि पिछले दिनों कैंट विधानसभा क्षेत्र के विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने जिलाधिकारी से इसकी शिकायत की थी. इसके बाद डीएम ने मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल को इसकी जांच सौंपी. सीडीओ की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय टीम ने जांच रिपोर्ट दी. इस जांच रिपोर्ट पर सीडीओ, नगर मजिस्ट्रेट, मुख्य कोषाधिकारी, पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता और निगम के परिवहन विभाग के यात्री कर अधिकारी के हस्ताक्षर हैं. टीम ने रिपोर्ट में लिखा है कि जांच में वित्तीय क्षति दिखाई दे रही है. कुछ विषयों पर वित्तीय क्षति के लिए धनराशि का आकलन नगर निगम को करना है. हालांकि विधायक की शिकायत के बाद इसकी जांच शुरू हुई तभी नगर निगम के परिवहन विभाग में खलबली मच गई थी. मामले को दबाने का काफी प्रयास हुआ. लेकिन गड़बड़ी की रकम बहुत अधिक थी. वैसे तो निगम में गड़बड़ियों की और भी कई शिकायतों पर चर्चा है. अब जांच रिपोर्ट मिलने के बाद चर्चा यह भी हो रही है कि इस मामले में चार कर्मचारियों को निलम्बित करना और फिर उनकी वापसी क्यों की गई ? उन्हें बचाने वाले कौन थे? नगर आयुक्त इस समय जापान गये हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि उनके जापान से लौटने के बाद कार्रवाई होगी.