LokSabha Elections 2024: निरहुआ ने अखिलेश को दी आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की चुनौती
LokSabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर नेता सुर्खियां बटोरने में लग गये हैं. कुछ अपनी जीत का दंभ भर रहे हैं तो कुछ प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देने से भी नहीं चुक रहे हैं. ऐसे में वाराणसी पहुंचे आजमगढ़ के बीजेपी सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को खुली चुनौती दी है.
एक गंभीर आरोप यह भी लगाया कि सपा प्रमुख यादवों का हक छीन रहे हैं. साथ ही निरहुआ ने देश के तीसरी बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का दा किया. उन्होंशने कहा कि कांग्रेस का वजूद समाप्तं हो चुका है. निरहुआ ने कहा आजमगढ़ में बीते दो – तीन सालों में इतना विकास हुआ है जितना कई दशकों में नहीं हुआ.
इंडिया गठबंधन का कोई भविष्या नहीं
अखिलेश यादव के द्वारा खुद को यादवों का नेता बनाए जाने पर दिनेश लाल यादव ने कहा कि यदि वह उनके नेता हैं, तो उन्हे उनके हित में सोचना चाहिए. जब अखिलेश यादव को पता है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार भी प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, तो उन्हें बीजेपी के साथ आकर और गठबंधन कर लेना चाहिए. इंडिया गठबंधन का दूर – दूर तक कोई भविष्य ही नहीं है. ऐसे में यदि वह यादवों के सबसे बड़े नेता है, तो यादवों का भविष्य भी अंधकार में डालने वाले वही हैं. दिनेश लाल यादव ने कहा कि आजमगढ़ से अखिलेश यादव खुद आएं और लोकसभा का चुनाव लड़ें यह मेरी उनके लिए सीधी चुनौती है.
Also Read: Ground Breaking Ceremony 2024: जीबीसी में विकसित यूपी के विकास की दिखेगी झलक
प्रभु श्री राम ने दिया राहुल गांधी को सद्बुद्धि: निरहुआ
राहुल गांधी के भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर तंज करते हुए सांसद दिनेश लाल यादव ने कहा कि पहले राहुल गांधी से पूछा जाए कि भारत टूटा ही कब था. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है. राहुल गांधी के श्री काशी विश्वनाथ दर्शन पर कहा कि प्रभु श्री राम ने राहुल गांधी को सद्बुद्धि दी है और समय पर उनको बात समझ में आ गई है, पूरा विश्व प्रभु श्री राम के इर्द गिर्द है.
प्रभु श्री राम के बाहर इस दुनिया में कुछ भी नही है. वही स्वामी प्रसाद मौर्य के नए पार्टी बनाए जाने की घोषणा पर कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य का भविष्य अब राम जी ही तय करेंगे. राम जी के खिलाफ वह बोलते है, तो राम जी ही उनका भविष्य बिगाड़ेंगे और बनाएंगे. वैसे स्वामी प्रसाद मौर्य निजी स्वार्थ में गठबंधन बनाते हैं, और जैसे ही मतलब पूरा होता है गठबंधन तोड़ देते हैं.