ज्ञानवापी मामले के याचिकाकर्ता हरिहर पांडेय नही रहे

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33 साल पहले सन 1991 में वाराणसी के प्राचीन ज्ञानवापी मस्जिद को हटाने के मुकदमे में शामिल तीन याचिकाकर्ताओं में अंतिम बचे हरिहर पांडेय का रविवार को निधन हो गया. वह 77 वर्ष के थे. किडनी की बीमारी के कारण उन्हें बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली. वह लाटभैरव समिति से भी जुड़े थे और लाटभैरव के कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय भागीदारी रहती थी.

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दो याचिकाकर्ताओं का पहले हो चुका था निधन

उनके निधन की सूचना से काशी के संतों और उनको जानने वालों में शोक की लहर छा गई. ज्ञानवापी प्रकरण का मुकदमा- संख्या -610/1991, स्वयंभू आइडल भगवान आदि विशेश्वर के नाम से सन 1991 में तीन याचिकाकर्ताओं द्वारा सिविल कोर्ट में दाखिल किया गया था. इसमें रामरंग शर्मा, सोमनाथ व्यास और हरिहर पांडेय का नाम शामिल था. लेकिन इनमें से राम रंग शर्मा और सोमनाथ व्यास दो याचिकाकर्ताओ का पहले ही निधन हो चुका था. हरिहर पांडेय ज्ञानवापी समेत काशी के अन्य प्राचीन मंदिरों और सनातन संस्कृति आयोजन को लेकर भी लंबे समय से संघर्षरत रहे. बीते कुछ समय से वह अस्वस्थ थे और उनका सर सुंदर दास अस्पताल में इलाज चल रहा था.

इमरजेंसी के दौरान लम्बे समय तक जेल में रहे

हरिहर पांडेय सरल, दृढ़ निश्चयी और सनातन परम्परा के प्रति अपार स्नेह रखते थे. वह 70 के दशक में आपातकाल संघर्ष के दौरान काफी सक्रिय थे. लंबे समय तक जेल में रहे. वह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री कमलापति त्रिपाठी के धुर विरोधी माने जाते थे. उनकी संयमित दिनचर्या और सनातन के प्रति आस्था वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रेरणाश्रोत है.
जुझारू व्यक्तित्व

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