Cop-28 Summit: जलवायु सम्मेलन में भाग लेने पीएम पहुंचे दुबई, पर्यावरण रोड मैप पर होगी चर्चा
COP-28 में किन विषयों पर रहेगी खास नजर?-
भारत के पीएम नरेंद्र मोदी COP-28 में शामिल होने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर दुबई पहुंचे है. COP-28 बैठक का आयोजन 28 नवंबर से 12 दिसंबर, 2023 तक हो रहा है. इस बैठक में पीएम मोदी पर्यावरण बदलाव को लेकर भारत के आगामी रोडमैप पर अपने विचार रखेंगे. बता दें कि भारत की आवाज में विकासशील देशों की समस्याओं का जिक्र होगा. वहीं पर्यावरण के मुद्दे पर विकासशील देशों की प्रमुख आवाज भारत बनेगा.इसके पहले ग्लासगो में पीएम मोदी ने भारत को वर्ष 2070 तक कार्बन न्यूट्रल का रोडमैप पेश किया था.
क्या है कॉप-28, जानें इसके बारे में –
COP-28 एक सालाना बैठक है. यह दुनिया में जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान यानी ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं पर चिंता और विमर्श करने वाला एकमात्र बहुपक्षीय निर्णय लेने वाला मंच है. इस सम्मेलन में दुनिया के करीब करीब सभी देश हिस्सा लेते हैं. इजराइल और हमास जंग व रूस और यूक्रेन युद्ध की परिस्थितियों के बीच यह सामने आए ‘भू राजनीतिक’ जोखिमों के मद्देनजर यह सम्मेलन काफी अहम है. इसमें जलवायु परिवर्तन पर तो विमर्श होगा ही, साथ ही अन्य देशों से अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों की द्विपक्षीय बातचीत भी होंगी, जो काफी उपयोगी साबित होंगी.
कॉप-28 में क्या है भारत का रोल?-
भारत एक तेजी से बढ़ता विकासशील देश है. दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत विकासशील देशों की प्रमुख आवाज है और पुरजोर तरीके से अपना पक्ष रखेगा. इसमें कोई संदेह नहीं है. वैसे भारत ग्रीन हाउस गैसों के शीर्ष उत्सर्जकों में से एक है. ऐसे में भारत के लिए यह अहम होगा कि वह महत्वाकांक्षी (दूरदर्शी) रहे, साथ ही न्यायसंगत भी रहे.
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे सम्मेलनों में सिर्फ चर्चा न हो, बल्कि कंक्रीट समाधान निकले यह जरूरी है. इसके लिए तीन उद्देश्यों का पूरा होना जरूरी है. ये हैं—एजेंडा व लक्ष्यों का निर्धारण, जमीन पर उतारने की प्रक्रिया का निर्धारण और कार्यान्वयन व प्रगति की निगरानी. गौरतलब है कि यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब यह साल रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म वर्ष रहा है. यही नहीं, जंगल की आग, बाढ़,सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ भू-राजनीतिक रूप से भी अशांत रहा है.
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COP-28 में किन विषयों पर रहेगी खास नजर?-
COP-28 में कई अहम विषयों पर विकसित और तेजी से विकास कर रहे विकासशील देशों को ध्यान देना जरूरी होगा. उत्सर्जन शमन लक्ष्य, जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना, विकसित देशों से वित्तपोषण, इंडस्ट्री से मिलने वाले समाधानों पर फोकस, कम कार्बन नवाचार, पेरिस समझौते के अनुच्छेद को क्रियान्वित करने में प्रगति जैसे विषय काफी अहम हैं.
क्या रहेगा बैठक का अहम एजेडा?-
एक रिपोर्ट के अनुसार इस बार की बैठक में साल 2030 से पूर्व ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाना और उत्सर्जन में कटौती करना. पुराने वादों को पूरा करके और एक नए समझौते के लिए रूपरेखा तैयार करना जलवायु क्षेत्र में सुधार. प्रकृति, लोगों, जीवन व आजीविका को जलवायु कार्रवाई के केन्द्र में रखना. अभी तक के सबसे समावेशी कॉप के संगठन पर फोकस रहेगा.