छठ पूजा का अंतिम दिन, सूर्योदय अर्घ्य का जानें क्या है महत्व ….
Chhath Puja 2023: चार दिवसीय छठ पूजा का आज अंतिम दिन है, आज व्रत रखने वाली महिलाओं ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोला है. इस पूजन विधि के साथ ही छठ के महापर्व का भी समापन हो गया है, इस अंतिम दिन पर सूर्य को वरूण वेला में अर्घ्य अर्पित किया जाता है. माना जाता है कि, यह जल सूर्य की पत्नी उषा इसे प्राप्त करती है. इससे सभी मनोकामना पूरी होती है. आइए जानें छठ के चौथे दिन का महत्व क्या होता है….
क्या रहा सूर्य को अर्घ्य का मुर्हूत
छठ पूजा का अंतिम दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, सूर्योदय होते ही इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है. आज सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर उगते सूरज को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त है. इसके बाद पारण किया जाता है. तांबे का लोटा सूर्य को जल देना चाहिए। गिरती जलधारा में सूरज को देखना चाहिए.
छठ में सूर्य को अर्घ्य का महत्व
ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से तेज, आरोग्यता और आत्मविशवास की प्राप्ति होती है. दरअसल, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रह को पिता, पूर्वज, सम्मान का कारक माना जाता है. साथ ही छठी माता की अराधना से संतान और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है. इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह पर्व पवित्रता का प्रतीक है.
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छठ के अंतिम अर्घ्य के उपाय
1. इससे संतान संबंधी परेशानियां दूर होती हैं, इससे नाम और सफलता मिलती है. योग टूट जाता है. पिता-पुत्र के रिश्ते अच्छे होते हैं, जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है, वे कम आत्मविश्वास वाले होते हैं. सूर्य को अर्घ्य देने से साहस बढ़ेगा.
2. सुबह जलधारा में सूरज उगता देखना चाहिए, सूर्य की किरणों और धातु की किरणों का असर आपकी दृष्टि और मन पर भी पड़ता है. जो आपको सकारात्मक उर्जा का अनुभव कराती रहेगी.
3. सनातन धर्म में प्रकाश को सकारात्मक भावों का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि सूर्य प्रकाश का सबसे बड़ा स्रोत है. हर दिन सूर्य को अर्घ्य देने से शनि की बुरी दृष्टि कम होती है. इससे काम भी मिलता है.