और बढ़ेगी काशी के देव दीपावली की भव्यता, रक्षामंत्री होंगे मुख्य अतिथि

0

वाराणसी : प्रदेश सरकार द्वारा देवताओं के उत्सव देव दीपावली को राजकीय मेला घोषित किये जाने के बाद काशी के घाटों पर अनुपम छटा के साथ देव दीपावली की पहचान अब प्रदेश के मेले के रूप में होगी. इसके साथ ही इस आयोजन की भव्यता, दिव्यता और बढ़ जाएगी. 27 नवम्बर को देव दीपावली का आयोजन है. लेकिन इस बार 23 से 27 नवंबर तक देव दीपावली महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. पर्यटन और संस्कृति विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है . रक्षामंत्री राजनाथ सिंह राजघाट (मालवीय पुल के पास) पर होने वाले आयोजन के मुख्य अतिथि होंगे.

Also Read : त्योहारी सीजन में टिकटों की मारामारी, विमान के किराये के बराबर पहुंचा ट्रेन का किराया

1915 में पंचगंगा घाट से शुरू हुई थी देव दीपावली
काशी की देव दीपावली को राजकीय मेले का दर्जा मिलने के बाद इस बार मेले का भव्य स्वरूप देखने को मिलेगा. प्रदेश सरकार की मंजूरी के बाद देव दीपावली का आयोजन पांच दिवसीय होगा . इसका खर्च नगर विकास विभाग वहन करेगा और वह मेला स्थलों पर सड़क, बिजली, शौचालय, आश्रय स्थलों आदि का विकास करेगा. बता दें कि देव दीपावली की परम्परा सबसे पहले 1915 में पंचगंगा घाट से शुरू हुई थी. आकाशदीप जलाये जाते थे. काशीवासियों ने इस परम्परा को बढ़ाया. आध्यात्मिक महत्व को देखते हुए धीरे-धीरे अन्य घाटों पर भी दीपोत्सव मनाया जाने लगा.

देव दीपावली उत्सव को मिली वैश्विक पहचान
काशी की आध्यात्मिक व पौराणिक पहचान के साथ देव दीपावली के उत्सव को वैश्विक पहचान मिली. काशी की देव दीपावली की भव्यता का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगायत देश-विदेश की प्रमुख हस्तियां इसकी साक्षी बन चुकी हैं. हालत यह है कि देव दीपावली महोत्सव में दुनिया भर से आनेवाले लोग नाव, बजड़ों, कू्रज की सवारी, होटलों में ठहरने के लिए दो-तीन महीने पहले से बुकिंग करा लेते हैं. लक्खा मेले में शुमार काशी की देव दीपावली भगवान शिव को समर्पित होती है.

स्वर्ग से देवी-देवता भी कार्तिक पूर्णिमा पर आते हैं काशी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवी-देवता स्वर्ग लोक से नीचे धरती पर उतर आते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है . माना जाता है कि भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर राक्षस का संहार करके देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. इसलिए देवी-देवता अपनी प्रसन्नता जाहिर करने भूतभावन भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में आकर दीपोत्सव के सहभागी बनते हैं.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More