कतर में 8 भारतीयों को मौत की सजा, जानें कौन है…

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शुक्रवार 27 अक्टूबर को विदेश से काफी दुखद खबर सामने आयी है, जिसे सुनकर भारत हैरान होने के साथ ही दुखी भी है. दरअसल, आज कतर की एक अदालत ने 8 भारतीय सेना के पूर्व कर्मचारियों को मौत की सजा सुनाई है. कतर अदालत के इस फैसले ने कैद भारतीयों के परिवार समेत भारत को काफी दुख पहुंचाया है. हालांकि, भारत सरकार की तरफ से साफ कहा गया है कि, इस मामले में सभी अदालत कानूनी विकल्प तलाश कर रही है. इसके साथ ही यह बात भी हैरान कर रही है कि, भारत और कतर के बीच संबंध अच्छे है . फिर भी कतर द्वारा 8 भारतीयों को मौत का फरमान जारी करना हैरान कर रहा है .

इसके साथ ही विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि, ”कतर की अदालत के जरिए मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले से हम स्तब्ध हैं. परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम से संपर्क किया जा रहा है. सभी कानूनी विकल्पों को भी देखा जा रहा है. भारत ने ये भी साफ कर दिया है कि वह कतर की कैद में बंद भारतीयों को राजनयिक परामर्श देना जारी रखेगा.”अब सवाल उठता है कि आखिर ये आठ भारतीय कौन हैं और कतर में क्या कर रहे थे और कब से जेल में बंद हैं? तो आइए जानते है क्या है पूरा मामला…

मौत की सजा पाने कौन 8 भारतीय ?

कतर की अदालत में मौत की सजा पाने वाले भारतीय कोई आम नागरिक नहीं बल्कि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी है. इन अधिकारियों के नाम कुछ इस प्रकार है कमांडर पूर्णेंदु तिवारी,कमांडर सुगुणाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता, कैप्टन नवतेज सिंह गिल,कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ , वशिष्ठ नाविक रागेश गोपाकुमार को सजा सुनाई गयी है. बता दें कि, कतर में कैद सभी अधिकारियो ने भारतीय नौसेना को 20 सालों तक सेवा प्रदान की है. इन लोगों ने प्रशिक्षकों सहित महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था. साल 2019 में, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था, जो प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है.

नौसेना अधिकारियों पर है ये आरोप

आठ पूर्व नौसेना कर्मचारी कतर की एक कंपनी में कार्यरत थे, इस दौरान बीते 30 अगस्त 2022 को कतर अधिकारियो ने इन पर जासूसी का इल्जाम लगाते हुए आठों नौसेना अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद से ये आठों नौसेना अधिकारी कतर की जेल में सजा काट रहे है. इनके खिलाफ मुकदमा 29 मार्च को शुरू हुआ था. इसके बाद ही भारत के राजदूत ने एक अक्टूबर को कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेना कर्मचारियों से मुलाकात की थी.

किस कंपनी में थे कार्यरत ?

ये सभी आठों भारतीय कतर में अल दहरा सिक्योरिटी कंपनी में काम करते थे. पिछले कुछ सालों से कतर के नौसैनिकों को भारतीय नागरिकों ने ट्रेनिंग दी है. ये कंपनी कतरी अधिकारियों के साथ मिलकर नौसैनिकों को ट्रेनिंग देती थी. इन पर पिछले साल जासूसी का आरोप लगाया गया और तुरंत हिरासत में लिया गया. भारतीयों पर लगाए गए आरोपों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जो हैरान करता है.

कंपनी को लेकर क्या है जानकारी?

रिपोर्ट के अनुसार, ये भारतीय कतर की एक कंपनी का नाम अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी सर्विस था। ये एक रक्षा सेवा प्रबंधक कंपनी है, जिसका काम सैनिकों को ट्रेनिंग देना है। ओमान के एक नागरिक इस कंपनी का मालिक है। कंपनी का मालिक खामिस अल-अजमी है, जो पूर्व रॉयल ओमान एयरफोर्स स्क्वाड्रन लीडर था। खामिस अल-अजमी को भी कतर की खुफिया एजेंसी ने गिरफ्तार किया। लेकिन नवंबर 2022 में उसे रिहा किया गया। कम्पनी की पुरानी वेबसाइट के अनुसार, ये कतरी अमीरी नेवल फोर्स को ट्रेनिंग, लॉजिस्टिक और मेंटेनेंस प्रदान करते थे।

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क्या कहती है भारत सरकार ?

भारतीय लोगों को सुनाई गयी मौत की सजा को लेकर भारत का विदेशमंत्रालय का कहना है कि, ‘हमें शुरू में जानकारी मिली कि कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने आज अल दाहरा कंपनी के आठ भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है। हम मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले से बेहद स्तब्ध हैं और फैसले के विस्तृत ब्योरे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी दल के संपर्क में हैं। हम सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।’

इसके आगे विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, वह इस मामले को बहुत महत्व दे रहे हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे। इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय प्रकृति के कारण, इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।

 

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