चंद्रयान- 3 से अलग हुआ लैंडर, आखिरी इम्तिहान का शुरू हुआ काउंटडाउन
हमारा भारत अंतरिक्ष जगत में इतिहास रचने के लिए तैयार है, वो पल अब दूर नहीं है जब भारत अंतरिक्ष जगत इतिहास रचेगा। इसके साथ ही आज यानी गुरूवार को चंद्रयान- 3 से लैंडर विक्रम प्रपल्शन मॉड्यूल सफलता पूर्वक अलग हो गया है। इसके साथ ही विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है। यह लैंडिग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर होगी, आपको बता दें लैडर ने इसका सफर शुरू भी कर दिया है।
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भारत के लिए होगी बडी उपलब्धि
चंद्रमा पर चंद्रयान- 3 की सफल लैंडिंग भारत के लिए किसी बडी उपलब्धि से कम नहीं होगी, इसके साथ ही भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन बराबरी से इस सूची में शामिल होते रहे है। इसके अलावा चंद्रमा पर बारी बारी से जाने के बाद भी किसी भी देश ने दक्षिणी ध्रुव को नहीं छुआ है, इसके साथ ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भी भारत पहला देश होगा । इसको लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने कहा है कि, ‘गुरुवार दोपहर को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को उसके लैंडर मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया, जिससे चंद्रमा पर भारत की यात्रा का आखिरी चरण शुरू हो गया है।’
सोशल मीडिया पर जाहिर की लैंडिग की खुशी
इसकी जानकारी देते हुए इसरो ने एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए कैप्शन में लिखा है कि, “चंद्रयान-3 मिशन: ‘यात्रा के लिए धन्यवाद, दोस्त! 👋’ लैंडर मॉड्यूल (LM) ने ये कहा। LM को प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है, LM कल लगभग 1600 बजे, IST के लिए नियोजित डीबूस्टिंग पर थोड़ी निचली कक्षा में उतरने के लिए तैयार है। अब,भारत के पास 🌖 के आसपास तीन 🛰️🛰️🛰️ हैं।”
Chandrayaan-3 Mission:
‘Thanks for the ride, mate! 👋’
said the Lander Module (LM).LM is successfully separated from the Propulsion Module (PM)
LM is set to descend to a slightly lower orbit upon a deboosting planned for tomorrow around 1600 Hrs., IST.
Now, 🇮🇳 has3⃣ 🛰️🛰️🛰️… pic.twitter.com/rJKkPSr6Ct
— ISRO (@isro) August 17, 2023
एंड-टू-एंड क्षमता का करेगा प्रदर्शन
प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद, अंतरिक्ष यान का लैंडिंग चरण शुरू होगा। इस चरण में अब 18 और 20 अगस्त को होने वाले डीऑर्बिटिंग के जरिए विक्रम लैंडर को 30 किलोमीटर वाले पेरील्यून और 100 किलोमीटर वाले एपोल्यून ऑर्बिट में डाला जाएगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर गोलाकार ऑर्बिट में नहीं घूमेगा। वह 30 KM x 100KM की अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाने के लिए दो बार डीऑर्बिटिंग करेगा।
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आपको बता दें कि, यह चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन है, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग करने के साथ ही चंद्रमा पर घूमते हुए एंड-टू-एंड क्षमता का प्रदर्शन करना है। लैंडिंग के बाद, रोवर लैंडर से बाहर निकलेगा और अगले 14 दिनों (एक चंद्र दिवस) के लिए चंद्र क्षेत्र का पता लगाएगा। अंतरिक्ष यान में एक लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल है, जिसे 100 किमी चंद्र कक्षा तक एक प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा ले जाया जा रहा है।